शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: स्वामी विवेकानंद की इस कोट्स को बना लो जीवन का आधार



स्वामी विवेकानंद...महान भारतीय भिक्षु, विद्वान और प्रख्यात आध्यात्मिक नेता, जिनके विचारों और शब्दों का विशेष महत्व है...यह स्वामी विवेकानंद और उनकी शिक्षाएँ ही थीं, जिन्होंने भारत के बारे में दुनिया की धारणा को बदलने में मदद की...वह व्यक्ति जिसने न केवल युवाओं को प्रेरित किया, बल्कि अपने प्रेरक शब्दों से मानवता को नई ऊँचाईयाँ दीं।

12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में जन्मे, प्रख्यात विद्वान और प्रसिद्ध वक्ता विवेकानंद ने अपनी असीम शक्ति और क्षमता के साथ चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करने के लिए युवाओं को जागृत करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.....पहले उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था, और वे पिता विश्वनाथ दत्ता और माँ भुवनेश्वरी देवी की आठवीं संतान थे।

सपनों और हकीकत के बीच की दूरी है एक्शन

वे अपनी शिक्षा के लिए जाने जाते हैं, जिसमें प्रज्वलित करने की शक्ति है और जो पूरी ऊर्जा से भरपूर है। स्वामी विवेकानंद, भारत के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक नेताओं और सुधारकों में से एक हैं, जिनके विचार लाखों लोगों को प्रेरित करने के लिए पर्याप्त हैं। स्वामी विवेकानंद, जिनका जन्म नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था, 19वीं सदी के अंत में हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने के लिए जाने जाते हैं।

विवेकानंद ने हमेशा लोगों को अपने अंदर की बुराई से बचने और ईर्ष्या और अहंकार को हमेशा त्यागने का सुझाव दिया। विवेकानंद हमेशा युवाओं से कहते थे कि हिम्मत रखो और काम करो। वह स्वस्थ और मजबूत युवाओं के बारे में चिंतित थे, जिनके हाथ और कंधे मजबूत हों।

विवेकानंद ने हमेशा दूसरों से पहले खुद को जानने पर जोर दिया है....वे कहते हैं, "दिन में एक बार खुद से बात करें, अन्यथा आप दुनिया में एक बेहतरीन व्यक्ति से मिलने से चूक सकते हैं।"

इसके अलावा विवेकानंद कहते हैं, "जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते..."

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स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचार: प्रेरक उद्धरण जानें

"अपने जीवन में जोखिम उठाएँ...अगर आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व करते हैं, अगर आप हारते हैं तो आप मार्गदर्शन कर सकते हैं।"- स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद कहते हैं, किसी भी चीज़ से मत डरो, तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो एक पल में भी स्वर्ग ला देती है..

सच्चे रिश्ते सुविधा से नहीं, समर्पण से बनते हैं

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्। मौनेन कलहो नास्ति जागृतस्य च न भयम्॥


महान दार्शनिक, विद्वान और कूटनीति के जनक चाणक्य का मूल्यांकन आज तक कर पाना संभव नहीं हुआ है क्योंकि उनके द्वारा दिए गए सूक्तियाँ  आज भी प्रासंगिक हैं और लोग उनके पाठ कर उनसे लाभ उठा रहे हैं। 

"उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्। 

मौनेन कलहो नास्ति जागृतस्य च न भयम्॥"

विख्यात विद्वान चाणक्य का यह श्लोक इंसानों के विविध चारित्रिक विशेषताओं और प्रति दिन के व्यवहार मे लाए जाने वाले विचार का प्रतिनिधित्व करता है। चाणक्य का साफ कहना है कि परिश्रम करने वाले व्यक्ति को कभी दरिद्रता (गरीबी) का सामना नहीं करना पड़ता। अर्थात व्यक्ति को अगर दरिद्रता और गरीबी से मुक्ति पाना है तो उसे उद्योग करने के अलावा और कोई उपाय नहीं है क्योंकि उद्यम से हीं दरिद्रता हो सकती है।

 साथ ही चाणक्य का कहना है कि  ईश्वर के नाम का जप करने वाले को पाप नहीं लगता। अर्थात  पाप से मुक्ति के लिए इंसान को जप अर्थात ईश्वरण कि शरण मे जाना चाहिए। 

कलह के संबंध मे चाणक्य का कहना है कि कलह को अगर शांत करना चाहते हैं तो मौन रहना हीं एकमात्र उपाय है क्योंकि कलह या झगड़ा कि स्थिति मे बोलते रहने से बात बिगड़ेगी हीं। वहीं चाणक्य का कहना है कि  जागते रहने से कभी भी भय नहीं होता है। 

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शनिवार, 20 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: चाणक्य से सीखें कैसे पैरेंट होते हैं अपनी बच्चों के दुश्मन



आचार्य चाणक्य जिनका आज तक मूल्याङ्कन नहीं किया जा सका और जो वास्तव में ऐसे विलक्षण विद्वान थे जो इस धरती के वास्तविक राजा की तलाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में मौर्य वंश का स्थापना किया था. 

चाणक्य न केवल एक महान अर्थशास्त्री, शिक्षक और कूटनीतिज्ञ थे, बल्कि उन्होंने ‘चाणक्य नीति’ नामक ग्रंथ के माध्यम से जीवन के हर पहलू को सरल, सटीक और प्रभावशाली तरीके से समझाया है. 

 बच्चों के शिक्षा के सम्बन्ध में उनका कहना था कि जो माता-पिता अपने पुत्रों को शिक्षित नहीं करते उनके शत्रु होते हैं; क्योंकि हंसों के बीच सारस की तरह, अज्ञानी पुत्र सार्वजनिक सभा में भी शत्रु होते हैं।

माता शत्रुः पिता वैरी येनवालो न पाठितः।
 न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ॥



आचार्य चाणक्य ने उस तरह के माता-पिता को बच्चे का सबसे बड़ा दुश्मन माना है जो अपने ही बच्चे को शिक्षा के आभाव में रखते हैं.बच्चे को न पढ़ानेवाली माता शत्रु तथा पिता वैरी के समान होते हैं । बिना पढ़ा व्यक्ति पढ़े लोगों के बीच में कौए के समान शोभा नहीं पता ।

 चाणक्य के अनुसार वह बच्चे जीवन में हमेशा पीछे छूट जाता है जिसे सही शिक्षा नहीं मिलती है. इसके अलावा जब आप बच्चे को शिक्षा नहीं दिलाते हैं तो उसे समाज में भी किसी से इज्जत नहीं मिलती है. अगर आप अपने बच्चे का दुश्मन नहीं बनना चाहते हैं तो यह काफी जरूरी हो जाता है कि आप उन्हें उचित शिक्षा जरूर दिलाएं.


शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: शक्ति, साहस और विजय की अधिष्ठात्री देवी हैं मां दुर्गा


हिंदू धर्म में माँ दुर्गा को शक्ति, साहस और समृद्धि की देवी माना जाता है और इस दौरान मान दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है.मान दुर्गा त्रिदेवियों (महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती) का सम्मिलित स्वरूप हैं और मान्यताओं के अनुसार मां के इन तीनों स्वरूपों की पूजा की जाती है. माँ दुर्गा शक्ति की दैवी हैं और उन्होनें  ही असुरों का संहार कर धर्म की रक्षा की थी।

माँ की उपासना से जीवन में निडरता, आत्मबल, सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है जो कि हमारे लिए सफलता का माध्यम है. नवरात्रि के नौ दिन देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है, जो क्रमशः भक्तों को बल, बुद्धि, ज्ञान, भक्ति और मोक्ष प्रदान करते हैं।

याद रखें, शक्ति, साहस और विजय की अधिष्ठात्री देवी हैं मां दुर्गा और जीवन में सफल होने के लिए यह जरूरी है कि आप शक्ति और साहस को अपनाए.

भय के रहते सफलता के बारे में सोचना भी व्यर्थ है और यह मा दुर्गा हीं है जिनकी कृपा से भय से मुक्ति प्राप्त हो सकती है.

 इस वर्ष अर्थात 2025 में नवरात्री में विशेष संयोग है क्योंकि इस वर्ष शरद नवरात्र 10 दिनों का होगा। खास बात कि  9 साल बाद बन रहा एक अद्भुत संयोग है. मान्यता है कि ऐसा संजोग अच्छा और आम लोगों के के लिए शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त  

इस साल मां दुर्गा का वाहन हाथी है. ऐसी मान्यता है कि हाथी पर मां दुर्गा का आना सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है, जो कि मंगलकारी होता है.

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बुधवार, 17 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: हर मनुष्य को कौए से सीखनी चाहिए ये 5 बातें@चाणक्य नीति


विश्व विख्यात दार्शनिक और चिंतक चाणक्य के विचार आज भी उतने हीं प्रासंगिक हैं जितने की आज से हजारों साल पहले थे. सच तो यह है कि चाणक्य का मूल्याङ्कन आज तक नहीं किया जा सका है. 

चाणक्य ने हमेशा से सीखने अनुशासन पर जोर दिया है. इसी सन्दर्भ में चाणक्य ने कौए से पांच बातों को सीखने पर जोर दिया है  प्रत्येक मानव को जरूर सीखनी चाहिए. 

चाणक्य के अनुसार, कौआ हमेशा अकेला ही अपना भोजन जमा करता है. काम में कभी आलस नहीं दिखाता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार, अगर कोई आदमी सफल होना चाहता है तो उसे कौवे से यह गुण सीखना चाहिए. 

कौवे बहुत बुद्धिमान होते हैं। वे चेहरे पहचान सकते हैं, द्वेष रख सकते हैं, और यहाँ तक कि गाड़ियों को भी पहचान सकते हैं। कौवे भोजन छिपाकर रखते हैं, और अगर कोई दूसरा प्राणी उन्हें छिपाते हुए देख ले, तो वे उसे हटा देते हैं।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, आदमी अगर कौवे की तरह मेहनती होता है तो वह हमेशा दूसरों से आगे रहता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है. चाणक्य ने कौवे से निम्न पांच बातों को सीखने पर जोर दिया है-

चाणक्य के अनुसार एक कौवे से इन्सानों को ये पाँच बातें  सीखनी चाहिए।

  1. एकांत में मिलन (अपनी पत्नी के साथ); 
  2. साहस; 
  3. उपयोगी वस्तुओं को संग्रहित करना; 
  4. सतर्कता; और
  5.  दूसरों पर आसानी से भरोसा न करना।

मंगलवार, 16 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: चाणक्य के अनुसार हमें इन लोगों से सावधान रहनी चाहिए


आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) जिन्हें विष्णुगुप्त भी कहा जाता है, न केवल एक महान राजनेता और अर्थशास्त्री थे, बल्कि वे मौर्य वंश के संस्थापक भी थे.जीवन-दर्शन से लेकर राजा और मंत्रिमंडल के लिए लिखें उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं. चाणक्य द्वारा लिखित नीति सूत्र (चाणक्य नीति) किसी भी इंसान को जीने की कला सीखती है. चाणक्य ने स्पष्ट कहा है कि अगर जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हो तो हर किसी पर भरोसा करना अनुचित है. उनका कहना था कि गलत व्यक्ति पर विश्वास जीवन को संकट में डाल सकता है और इसके लिए आपको हमेशा सावधान रहना चाहिए.

आइये जानते हैं कि चाणक्य नीति के अनुसार हमें किन लोगों सेसावधान रहना चाहिए और किन पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।



दुर्बल चरित्र वाले लोग

चाणक्य कहते हैं कि हमें दुर्बल और कमजोर चरित्र वालों से हमेशा सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग हालात के अनुसार कभी भी पलट सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि इस तरह के लोग हमेशा मित्रता, प्रेम या निष्ठा का दिखावा करते हैं, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर विश्वासघात करने में देर नहीं लगाते।