शनिवार, 20 सितंबर 2025

नजरिया जीने का: चाणक्य से सीखें कैसे पैरेंट होते हैं अपनी बच्चों के दुश्मन


आचार्य चाणक्य जिनका आज तक मूल्याङ्कन नहीं किया जा सका और जो वास्तव में ऐसे विलक्षण विद्वान थे जो इस धरती के वास्तविक राजा की तलाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में मौर्य वंश का स्थापना किया था. 

चाणक्य न केवल एक महान अर्थशास्त्री, शिक्षक और कूटनीतिज्ञ थे, बल्कि उन्होंने ‘चाणक्य नीति’ नामक ग्रंथ के माध्यम से जीवन के हर पहलू को सरल, सटीक और प्रभावशाली तरीके से समझाया है. 

 बच्चों के शिक्षा के सम्बन्ध में उनका कहना था कि जो माता-पिता अपने पुत्रों को शिक्षित नहीं करते उनके शत्रु होते हैं; क्योंकि हंसों के बीच सारस की तरह, अज्ञानी पुत्र सार्वजनिक सभा में भी शत्रु होते हैं।

माता शत्रुः पिता वैरी येनवालो न पाठितः।
 न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये वको यथा ॥



आचार्य चाणक्य ने उस तरह के माता-पिता को बच्चे का सबसे बड़ा दुश्मन माना है जो अपने ही बच्चे को शिक्षा के आभाव में रखते हैं.बच्चे को न पढ़ानेवाली माता शत्रु तथा पिता वैरी के समान होते हैं । बिना पढ़ा व्यक्ति पढ़े लोगों के बीच में कौए के समान शोभा नहीं पता ।

 चाणक्य के अनुसार वह बच्चे जीवन में हमेशा पीछे छूट जाता है जिसे सही शिक्षा नहीं मिलती है. इसके अलावा जब आप बच्चे को शिक्षा नहीं दिलाते हैं तो उसे समाज में भी किसी से इज्जत नहीं मिलती है. अगर आप अपने बच्चे का दुश्मन नहीं बनना चाहते हैं तो यह काफी जरूरी हो जाता है कि आप उन्हें उचित शिक्षा जरूर दिलाएं.


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