शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

नजरिया जीने का: मनमुटाव को दूर कर फिर से संवाद शुरू करें

जीवन मे मनमुटाव और मतभेदों का होना स्वाभाविक है और इसके लिए अपने ईगो को कभी भी बीच मे आने दें। जीवन बहुत मूल्यवान है और यहाँ संबंधों कि दिखावटी और बनावटी आवरण से हट कर वास्तविकता के साथ चलाने पर ध्यान दें। ध्यान दें, ससंबंधों को चलाने के लिए सबसे पहले, माफी मांगने में संकोच न करें, भले ही आप पूरी तरह से गलत न हों याद रखें, माफी मांगने से आपका कद छोटा नहीं बल्कि और भी बड़ा हो जाता है। 

मनमुटाव को दूर करना और फिर से संवाद शुरू करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से संभव है। थोड़ी सी कोशिश और धैर्य से आप अपने रिश्ते को मजबूत बना सकते हैं।

दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को स्वीकार करें और इसके लिए पहल अगर आपको भी करना होता है तो इसमे कोई बुराई नहीं है। इसकी कीमत पर आप उन्हे  बताएं कि आप उनकी परवाह करते हैं।

शांत और धैर्यवान रहें और अपने आपे को आप कभी नहीं खोए क्योंकि आपका खुद पर नियंत्रण करना जरूरी है अन्यथा सामने वाले आपका नियंत्रक हो जाएगा जो आपके वजूद के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

समस्या पर चर्चा करना अत्यधिक जरूरी है क्योंकि इससे ही उनका समाधान निकाल सकता है और इसके लिए सामने वाले कि बातों को सुना जाना जरूरी है और इसके लिए आप खुद पहल करें और एक दूसरे की बात सुनें।

याद रखें,मनमुटाव मनमुटाव इंसानों के बीच प्यार की कमी का संकेत नहीं, बल्कि समझ की कमी का संकेत होता है। और इसे सिर्फ अपने समझदारी और मिलकर बात कर के हीं सुलझाया जा सकता है। 

रिश्तों में मतभेद होना स्वाभाविक है, और आज कि भगदौड़ और अतिव्यस्त जीवन मे आप इस संभावना से इनकार  नहीं कर सकते लेकिन इसे निपटाने का तरीका ही संबंधों की गहराई को दिखाता है।



इसके साथ ही यह भी सच है कि जहां समझ होती है, वहां मनमुटाव भी प्यार को मजबूत बनाने का काम करता है तथा अहम और मनमुटाव को दरकिनार करना ही सच्चे रिश्ते की पहचान है। कभी-कभी छोटे मतभेद रिश्तों को बड़ा सबक सिखाने का काम करते हैं।


 मतभेद तो होंगे ही, पर एक-दूसरे को समझने और स्वीकार करने की कला ही रिश्तों को खूबसूरत बनाती है। रिश्तों में दरार तब आती है, जब हम मनमुटाव को सुलझाने की जगह उसे बढ़ावा देने लगते हैं। 


जीवन में कभी भी मतभेद का मतलब रिश्ते का अंत नहीं, बल्कि नए दृष्टिकोण का आरंभ होता है हाँ इसके लिए पहल का किया जाना आवश्यक होता है। 



 जहां प्यार होता है, वहां मतभेद भी होते हैं, पर उन्हें सुलझाने की चाह रिश्ते को मजबूत बनाती है। सच्चे रिश्ते में मतभेद नहीं, बल्कि एक-दूसरे के साथ खड़े रहने की शक्ति होती है।

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