शुक्रवार, 21 मार्च 2025

नजरिया जीने का: सीखें गौतम बुद्ध से जीने की कला "हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है स्वयं पर विजय प्राप्त करना"

  


नजरिया जीने का:  जीने की कला अगर सीखना हो तो गौतम बुद्ध से बड़ा कोई शिक्षक शायद ही हो सकता है। हजारों युद्ध को जीतने से बेहतर जिनके लिए खुद को जितना ज्यादा जरूरी लगता है। 
सम्राट अशोक का कलिंग विजय की कहानी तो आपने पढ़ी होगी। लाखों की हत्या वाले युद्ध मे जिसमे विजय सम्राट की अशोक की होती है लेकिन वो महारानी पदमा से हार जाते हैं। उस महारानी पदमा से जिनके पति अर्थात कलिंग के  महाराज युद्ध हार चुके होते हैं। 
 तभी तो गौतम बुद्ध ने कहा है कि  "हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है स्वयं पर विजय प्राप्त करना"। 
गौतम बुद्ध, जिनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था, का जन्म 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी (वर्तमान में नेपाल में) में हुआ था। वे शाक्य वंश के राजकुमार थे और उनके पिता राजा शुद्धोधन थे। सिद्धार्थ ने बचपन से ही सुखी और आलीशान जीवन जिया, लेकिन जब उन्होंने बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु देखी, तो उन्हें जीवन के असली दुखों का एहसास हुआ।

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मे, उन्होंने दुखों से दूर एक विशेषाधिकार प्राप्त जीवन जिया। हालाँकि, वे बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु की अपरिहार्य वास्तविकताओं से बहुत परेशान हो गए थे

जब वे राजसी जीवन के भोग-विलास से ऊब गए, तो गौतम समझ की तलाश में दुनिया भर में भटकने लगे। वास्तव में, यह उनकी गहरी रुचि और सत्य की खोज में उनके गहरे आंतरिक विचार थे, जिसके लिए उन्होंने 29 वर्ष की आयु में महल, परिवार और सुख-सुविधाओं को त्याग दिया।

कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद, उन्होंने बोधगया (भारत) में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए बोधि (ज्ञान) प्राप्त किया। आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद, उन्हें गौतम बुद्ध कहा गया और उन्होंने अपना जीवन सत्य, करुणा और अहिंसा के उपदेश के लिए समर्पित कर दिया। गौतम बुद्ध का जीवन संघर्ष, आत्मज्ञान और शक्तिशाली शिक्षाओं के प्रसार की एक गहन कहानी है। 

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मे, उन्होंने एक विशेषाधिकार प्राप्त जीवन जिया, दुख से दूर रहे। हालाँकि, वे बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु की अपरिहार्य वास्तविकताओं से बहुत परेशान हो गए। इस अस्तित्वगत पीड़ा ने उन्हें आध्यात्मिक सत्य की खोज में अपने आरामदायक जीवन को त्यागने के लिए प्रेरित किया। 

गौतम बुद्ध का स्पष्ट मानना है कि ध्यान और मेधावी जीवन का अभ्यास व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है और यही कारण है की  बौद्ध धर्म में ध्यान को सर्वोत्तम साधना माना जाता है। गौतम बुद्ध ने दुनिया को बताया कि ध्यान और साधना के जरिए हिन व्यक्ति अपने विचारों पर नियंत्रण पा सकता है। अगर आपको अपने जीवन को अधिक संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाना लक्ष्य है,  तो फिर आपको बुद्ध के बताए गए ध्यान के मार्ग पर चलना ही होगा। 

तपस्वी मार्ग: उन्होंने एक कठोर तपस्वी यात्रा शुरू की, जिसमें अत्यधिक आत्म-त्याग का अभ्यास किया। इस अवधि में तीव्र शारीरिक कष्टों की विशेषता थी। उन्होंने पाया कि यह चरम मार्ग आत्मज्ञान की ओर नहीं ले जाता। मध्यम मार्ग: दोनों चरम सीमाओं (भोग और आत्म-पीड़ा) की निरर्थकता को समझते हुए, उन्होंने "मध्य मार्ग" की खोज की। यह मार्ग संतुलन और संयम पर जोर देता है।

बोधि वृक्ष के नीचे ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

गौतम बुद्ध के अनुसार, "ज्ञान केवल अनुभवों से ही प्राप्त किया जा सकता है, शिक्षाओं से नहीं। कठिन परिस्थितियों और कठिन समय से गुज़रने के बाद ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान सिखाया नहीं जा सकता। जितना आप अपने सम्मान करने वाले लोगों की शिक्षाओं को सुनने की कोशिश करते हैं, उतना ही सच्चा ज्ञान केवल खुद से ही सीखा जा सकता है।"

चार आर्य सत्य:

  • दुःख: जीवन में दुःख अनिवार्य है।
  • दुःख का कारण: तृष्णा (इच्छा) सभी दुःखों का मूल कारण है।
  • दुःख का निरोध: तृष्णा का अंत करके दुःख का अंत किया जा सकता है।
  • दुःख निरोध का मार्ग: अष्टांगिक मार्ग का पालन करके दुःख का निरोध संभव है।


गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

"क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थ को उदारता से और झूठ को सच्चाई से जीता जाता है।"

"मनुष्य अपने विचारों से ही निर्मित होता है, जैसा वह सोचता है वैसा ही बन जाता है।"

"जो व्यक्ति खुद पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह सबसे महान विजेता है।"

"भविष्य के बारे में मत सोचो, वर्तमान में जियो और उसे बेहतरीन बनाओ।"

"स्वयं पर विजय प्राप्त करना हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है।"

"सच्चा सुख इच्छाओं के त्याग में है, न कि उनकी पूर्ति में।"

"हर सुबह एक नया जन्म है, आज जो कुछ भी करें वह सबसे महत्वपूर्ण है।"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें