हालाँकि यह कहना मुश्किल है कि जीवन मे खुशी और खुशहाली का वास्तविक कारण क्या है लेकिन अगर हम खुद को तलाशें तो पाएंगे कि यह हमारे अंदर से आरंभ होता है और हम खुद हीं इसके कारण होता हैं। हम 100% समय 'खुश' रहने का लक्ष्य रख नहीं सकते और न हीं उसे पाने कि कोशिश कर सकते हीं।
अच्छा तो यह होता कि हम समय-समय पर खुशी का अनुभव करने से संबंधित कारणों का पता लगाएं और उसके सकारात्मक, आनंददायक भावनाओं का अनुभव करें और अपने जीवन में संतुष्टि की भावना से जुड़ा हुआ महसूस करें।
इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि जीवन मे खुशी का अनुभव करना हमारे भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और यही एकमात्र कारण है जो हमें जीवन मे विपरीत परिस्थितियों मे भी हमें मजबूत बनाता है और उससे निकालने मे मदद भी करता है।
यह देखा गया है कि खुशी और खुशहाली की मजबूत भावना रिश्तों को बेहतर बनाती है, सामाजिक संबंध बढ़ाती है और दूसरों के जीवन में योगदान देती है, साथ ही स्वस्थ शारीरिक भलाई में भी योगदान देती है।
हालांकि वास्तविकता यह है खुशी हमारे भीतर से आती है और यह इस पर निर्भर है कि हम क्या सोचते हैं, महसूस करते हैं और क्या करते हैं।
जीवन मे कठिनाइयों का आना निश्चित है और हम सभी को अपने जीवन में कभी न कभी कठिनाई का अनुभव होता है। यह एक वास्तविक चुनौती है कि हममें से कई लोगों के पास समय की कमी है, हमारे घर और कामकाजी जीवन में मांगें और जिम्मेदारियां हैं जो कभी-कभी कभी न खत्म होने वाली महसूस हो सकती हैं।
लेकिन उन चीजों के लिए समय को प्राथमिकता देना बहुत महत्वपूर्ण है जो हमें संबंध, खुशी और खुशी प्रदान करती हैं।अच्छी खबर यह है कि हम जीवन की व्यस्तता के बीच भी हर दिन रचनात्मक तरीके से ऐसा कर सकते हैं।
अपनी खुशी को प्राथमिकता देना जरूरी है लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं होना चाहिए कि हम इसके लिए वास्तविकता से मुंह मोड लें और कल्पना कि दुनिया मे जीना आरंभ कर देना।
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