बुधवार, 13 अगस्त 2025

जन्माष्टमी 2025: भगवान कृष्ण से जीवन बदलने वाली 6 अनमोल सीख


कृष्ण जन्माष्टमी  एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। इसे न्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है.  
भगवन श्रीकृष्ण का जीवन प्रेम, कर्तव्य, नीति, और धर्म का अद्भुत संगम है और उनके जीवन से हमें अपने परिवार के साथ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के चलने और उसके सञ्चालन के लिए सम्पूर्ण  सूत्र प्राप्त होता है।
 भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र के शुभ समय में हुआ था, जिसका विशेष महत्व है और इस साल अर्थात्न 2025 में जन्माष्टमी का महोत्सव भगवान कृष्ण का 5252वाँ जन्मोत्सव होगा। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी लगातार दो दिन, 15 और 16 अगस्त, 2025 को मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी  सिर्फ भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन से जुड़े आदर्शों और शिक्षाओं को याद करने का अवसर भी है।आइए जानते हैं, हम भगवान कृष्ण से कौन-कौन सी बातें सीख सकते हैं—

संघर्ष हमें सीमाओं से आगे खुद पर विश्वास करना सिखाता है

 धर्म के मार्ग पर अडिग रहना

गीता का वह प्रमुख श्लोक तो आपको याद ही होगा-"यदा यदा ही धर्मस्य ग्लनिर्भरति भारत..."  भगवन कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया और अपने विश्व रूप का दृश्य दिखाया था. श्री कृष्णा ने उन्हें बताया और सिखाया कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हों, धर्म और सत्य के मार्ग से पीछे नहीं हटना चाहिए।

परिस्थितियों में संतुलन रखना

गीता का प्रमुख सार यही है कि जीवन में  विभिन्न परिस्थितियों का आना स्वाभाविक घटना है. भगवन श्री कृष्णा का कहना है की जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि, जीत-हार आती रहती हैं। कृष्ण का संदेश है— “समत्वं योग उच्यते”, यानी हर परिस्थिति में मन को संतुलित रखना ही सच्चा योग है।

कर्म सर्वोपरि 

गीता का सबसे बड़ा संदेश— “कर्म करो, फल की चिंता मत करो”। कृष्ण सिखाते हैं कि परिणाम की चिंता में उलझने के बजाय हमें अपना पूरा ध्यान कर्म पर लगाना चाहिए।

जिससे सारा जहां है, उसी का नाम है नारी

 रिश्तों में प्रेम और अपनापन

गोपियों, सुदामा, अर्जुन, और द्रौपदी के साथ कृष्ण का संबंध यह दर्शाता है कि सच्चा मित्र, भाई और प्रिय वही है जो हर परिस्थिति में साथ निभाए।

भगवत गीता से सीखें सफलता के लिए जीवन मे धैर्य का महत्व

बुद्धि और चतुराई से समस्याओं का हल

कृष्ण को रणनीति और नीति के महारथी कहा जाता है। चाहे मथुरा से द्वारका का बसना हो या पांडवों की विजय, उन्होंने बुद्धि से हर कठिनाई का हल निकाला।

जीवन में आनंद और संगीत का महत्व

कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन हमें यह सिखाती है कि जीवन में कामयाबी के साथ-साथ आनंद, कला और संगीत के लिए भी समय निकालना जरूरी है।

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