गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

नजरिया जीने का: मुश्किल से सीखा है, ये दर्द छुपाने का हुनर @ मुहब्बत बेइंतहा

 


"मुश्किल से सीखा है, ये दर्द छुपाने का हुनर,

बनावटी मुस्कराहट से थक जो गया था मैं। "


"हाँ हर दर्द के सहने की एक हद तो होती हीं है,

दर्द में भी तेरी खातिर,हंसने का कला सीख गया था मैं। "


"इश्क के दरिया में रखा, जीवन का वो पहला कदम था

सोचता हूँ, कैसे समंदर से बहुमूल्य मोती पा गया था मैं। "


"आसान नहीं था ये जानना कि, मुहब्बत बेइंतहा होती है,

नादान था, क्यों अनजाने में, तुमसे टकरा गया था मैं। "


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