आखिरकार देश की राजधानी दिल्ली में 27सालों बाद भाजपा का वनवास खत्म होने को है। मतगणना के रुझान बताते हैं कि आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है ओर अरविंद केजरीवाल को करारी हार मिलने जा रही है। आखिरकार वो कौन से कारण रहे जो भाजपा को 27 सालों बाद सता में वापसी का मौका दिया और केजरीवाल एंड कंपनी को रुझानों के मुताबिक मिलने वाली हार का मार्ग प्रशस्त किया। अगर देखी जाए तो एग्जिट पोल ने भी भाजपा के पक्ष में जीत के संकेत दिए थे और बात जहां तक हार की है तो निम्न कुछ कारण हैं जिसने केजरीवाल की हार में प्रमुख भूमिका निभाई।
कमजोर नेतृत्व: अरविंद केजरीवाल भले हीं सिंगल मैन आर्मी बनकर पार्टी का बागडोर संभाले रखें लेकिन अब जनता का उनसे मोह भंग हो चुका है। सच तो यह है कि कमजोर नेतृत्व भी एक बड़ा कारण रहा है, जिसके कारण आम आदमी पार्टी का कैडर बुरी तरह इस चुनाव में बिखर गया। इसके विपरीत भाजपा ने अपने पार्टी के मजबूत संगठनात्मक ढांचा लाभ उठाया और आम आदमी पार्टी पर बढ़त बनाई।
भारी पड़ा भ्रष्टाचार के आरोप: आम आदमी पार्टी भले हीं मेरा केजरीवाल ईमानदार है जैसे नारे से लोगों को लुभाने की कोशिश की लेकिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के लगे आरोप उनके लिए महंगे पदों जिससे लोगों का भरोसा आम आदमी पार्टी पर कम हुआ।
आंतरिक कलह और भीतरघात: आम आदमी पार्टी की हार में पार्टी कीआंतरिक कलह और भीतरघात भी एक बड़ा कारण रहा जिसने उसके हार की स्क्रिप्ट तैयार की। अरविंद केजरीवाल हमेशा इस मुगालते के शिकार रहे की उनकी पार्टी दिल्ली में अजेय है और पार्टी के अंदर कोई कलह नहीं हैं यह और बात है कि इसी आत्मविश्वास के कारण पार्टी का कैडर बिखर गया और पार्टी का संगठनात्मक ढांचा कमजोर हो गया।
कांग्रेस ने डुबोई लुटिया: इंडी गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ना और कांग्रेस की मजबूत उपस्थिति भी आम आदमी पार्टी पर भारी पड़ी।अलग से चुनाव लड़ने से वोटों का बिखराव हुआ, जिससे आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचा।
भाजपा के लुभावने वादे: आम आदमी पार्टी को हराने में भाजपा ने उसके लुभावने वादे के हथियार से उसे हीं मात कर दिया। भाजपा की आक्रमक चुनावी रणनीति और बड़े एलान भी एक बड़ा कारण रहा, जिससे आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचा।
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