शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

नजरिया जीने का: मार्टिन लूथर किंग जूनियर के वे विचार आपमें जोश का नया संचार भर देंगे

मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जीवन संघर्ष, साहस और अहिंसा का प्रतीक है जिसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और पूरी दुनिया को जीने और संघर्ष करने का नया औजार प्रदान करती है। अहिंसा को वे हमेशा सर्वोपरि मानते थे और उनका कहना था कि बिना हिंसा के भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। आज भी उनके विचार पूरी दुनिया में समानता, प्रेम और न्याय के लिए प्रेरित करते हैं। मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन्म 15 जनवरी 1929 को अटलांटा, जॉर्जिया (अमेरिका) में हुआ था। अमेरिका के एक महान नेता, समाज सुधारक और नागरिक अधिकारों के आंदोलन के प्रमुख नेता थे जिनका सम्पूर्ण जीवन अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलते हुए नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। 

अहिंसा और सत्याग्रह के विचारों के प्रति मार्टिन लूथर किंग जूनियर महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। 

मार्टिन लूथर किंग का योगदान खासतौर पर सामाजिक परिवर्तनों और नागरिक अधिकारों की लड़ाई मे काफी अधिक है। उन्होंने नागरिक अधिकारों के लड़ाई के अंतर्गत उन्होंने कैन आंदोलन का नेतृत्व किया। 1955 में रोजा पार्क्स नाम की एक महिला ने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे मॉन्टगोमरी बस बॉयकॉट आंदोलन शुरू हुआ।




मार्टिन लूथर किंग ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और अमेरिका में नागरिक अधिकारों की लड़ाई को एक नई दिशा दी। उन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर मार्ग को अपनाया।
1964 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अहिंसा और प्रेम के प्रति अपने विचारों के लिए मार्टिन लूथर किंग जूनियर हमेशा से जाने जाते हैं और उनका स्पष्ट कहना था कि - "अंधकार को अंधकार से नहीं मिटाया जा सकता, केवल प्रकाश ही इसे मिटा सकता है। नफरत को नफरत से नहीं मिटाया जा सकता, केवल प्रेम ही इसे मिटा सकता है।"

वर्तमान और प्रेजेंट को हमेशा से मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने सर्वोपरि माना और उनका कहना था की सही समय का इंतजार करना उचित नहीं है। वर्तमान हीं किसी भी कार्य को आरंभ करने के लिए सही समय है-"सही समय की प्रतीक्षा मत करो, अभी सही काम करने का समय है।"

साहस और हिम्मत किसी भी इंसान के लिए सर्वोपरि है क्योंकि इसके अभाव में हम अपने जीवन की मूल्य को भूल जाते हैं। उनका कहता था कि "सच्ची सफलता यह नहीं है कि आप कहाँ खड़े हैं, बल्कि यह है कि जब मुश्किलें आती हैं, तब आप क्या करते हैं।"

 आज के समय में जब कि हमअपने जीवन से चरित्र और अपने जिम्मेदारियों को भूल चुके हैं, इसका सबसे प्रमुख कारण यही है कि शिक्षा की सही स्वरूप को हम पालन करने मे कहीं न कहीं पीछे हो चुके हैं। मार्टिन लूथर किंग जूनियर का कहना था की  "बुद्धिमत्ता और चरित्र, यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है।"

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