आज के इस दौर मे जहां हमें अपने हेक्टिक शईडुल और भागती जिंदगी मे रिश्तों को बचाने कि जदोजहद से दो चार होना हमारी लाचारी बन चुकी है, ऐसे मे अगर हम झगड़ों कि कीमत पर सह-अस्तित्व की भावना को तिलांजलि देंगे तो बहाल जीवन का क्या हश्र होगा? ऐसे में यह जरूरी है कि हम झगड़ों को छोड़कर सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा दें ताकि हमारा जीवन सँवर सके।
जीवन में सह-अस्तित्व का मतलब हीं यही है कि मिल-जुलकर रहना और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना और संघर्षों से ऊपर उठना। जब आप झगड़ों से बचकर एक-दूसरे को समझने और अपनाने का प्रयास करते हैं, तो जीवन में सुख, शांति और संतोष बढ़ता है।
अगर आप जीवन मे झगड़े और समझौते के महत्व को समझेंगे तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक तरफ जहां झगड़े इंसान को तोड़ते हैं, समझौता रिश्तों को जोड़ता है। समझौते कि कीमत को समझें और झगड़े कि नकारात्मक प्रभाव को कभी भी जीवन मे तवज्जो नहीं दें।
अक्सर हम जीवन मे खुद के कद से अधिक अपने अहंकार को बना लेते हैं जो एक प्रमुख वजह होता है आपस के रिश्तों को खत्म कर अहंकार के बीजारोपन का। याद रखें, जहां अहंकार खत्म होता है, वहां झगड़ा भी खत्म हो जाता है।
- "हर झगड़े में जीतने से ज्यादा जरूरी है रिश्ते को बचाना।"
- "झगड़े इंसान को तोड़ते हैं, समझौता रिश्तों को जोड़ता है।"
- "अगर हम हर लड़ाई जीतना चाहें, तो शायद रिश्ते हार जाएंगे।"
- "जहां अहंकार खत्म होता है, वहां झगड़ा भी खत्म हो जाता है।"
- "कुछ रिश्ते माफी मांगने से नहीं, समझने से सुलझते हैं।"
- "जुबान के तीखे शब्द सबसे बड़े झगड़े की जड़ बन सकते हैं।"
- "झगड़े से सुकून कभी नहीं मिलता, लेकिन समझदारी से शांति जरूर मिलती है।"
- "झगड़े से दूरी और प्यार से नजदीकी बनती है।"
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