यह एक सर्वमान्य सच है कि हम असफलता से अधिक उसके डर या कहें कि उसके खौफ से अधिक भयभीत होते हैं। असफलता तो सिर्फ एक कड़वा अनुभव का नाम है जो कि हमें कुछ सफलता के लिए टिप्स और एक बार अपने को मूल्यांकन करने का मौका देकर जाता है। लेकिन सबसे अधिक दुर्भाग्यशाली यह है कि हम असफलता से नहीं बल्कि उसके खौफ कि जद में आकर हम सफलता कि सांभावनाओं का गला घोंट देते हैं।
ओपरा विनफ्रे न क्या खूब कहा है-"असफलता तब नहीं होती जब आप गिरते हैं, असफलता तब होती है जब आप गिरने के बाद उठने से इनकार करते हैं।"
किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
"हादसों कि जद में हैं, तो मुस्कराना छोड़ दें,
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें। "
याद रखें, असफलता से अधिक उसके डर का खौफ है जो असफलता से अधिक हानिकारक होता है। इतिहास उठाकर देख लीजिए, लोगों ने कितने अवसरों को सिर्फ इसलिए खो दिया है क्योंकि हम असफलता के भय के खौफ से बाहर नहीं निकाल सके।
स्वामी विवेकानंद ने असफलता के भी के संदर्भ मे कहा था-उठो, जागो और तब तक रुको मत जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। असफलता का भय सबसे बड़ी असफलता है।
ओपरा विनफ्रे न क्या खूब कहा है-"असफलता तब नहीं होती जब आप गिरते हैं, असफलता तब होती है जब आप गिरने के बाद उठने से इनकार करते हैं।"
आप खुद का मूल्यांकन करके देखें तो पाएंगे कि जब भी हम असफलता के डर में जीते हैं, तो हम कोई नया कदम उठाने से हिचकिचाते हैं क्योंकि असफलता कि खौफ से हम बाहर नहीं निकाल पाते जो सिर्फ और सिर्फ हमारे निराधार कल्पना पर आधारित होता है।
अब्राहम लिंकन ने असफलता के भय पर प्रहार करते हुए कहा था कि "असफल होने का डर सफलता की राह में सबसे बड़ी बाधा है।"
असफलता के भी से उपजे इस काल्पनिक डर का प्रभाव हमारे मनोबल पर इस कदर अपना प्रभाव छोड़ता है कि हम अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं जो कि हमारे हार और असफलता का सबसे प्रमुख कारण होता है।
नेपोलियन हिल के इस कथन को हमेशा याद रखे-"विजेता कभी नहीं हारते और हारने वाले कभी नहीं जीतते। विजेता असफलता से डरते नहीं, वे उससे सीखते हैं।"
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