मंगलवार, 18 मार्च 2025

भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025: ‘रानी नागफनी की कहानी’ और ‘कन्यादान’ का हुआ मंचन


भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 के दूसरे दिन दोपहर के सत्र में सुप्रसिद्ध नाटककार विजय तेंडुलकर द्वारा रचित सामाजिक नाटक ‘कन्यादान’ और शाम के सत्र में हरिशंकर परसाई की व्यंग्यात्मक कृति ‘रानी नागफनी की कहानी’ का मंचन हुआ का प्रभावी मंचन किया गया। अमूल सागर के निर्देशन में ब्लैक पर्ल आर्ट्स समूह द्वारा प्रस्तुत  नाटक ‘कन्यादान’  ने जातिवाद, आदर्शवाद और सामाजिक बदलाव की जटिलताओं को उजागर किया। कहानी एक प्रगतिशील राजनेता नाथ देवलीकर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी बेटी ज्योति की शादी अरुण अथवले नामक दलित कवि से कराकर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम बढ़ाने का सपना देखते हैं। लेकिन यह आदर्शवादी सोच कठोर वास्तविकता से टकराती है जब ज्योति वैवाहिक जीवन की चुनौतियों का सामना करती है। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को गहरे सामाजिक ताने-बाने पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया।



ऐतिहासिक नाटक ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के शानदार मंचन के साथ भव्य शुरुआत के बाद, साहित्य कला परिषद एवं दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 के दूसरे दिन भी रंगमंच की अनूठी छटा बिखरी। इस दिन दो सशक्त नाटकों का मंचन किया गया, जिन्होंने दर्शकों को गहरे सामाजिक संदेश दिए।


शाम के सत्र में हरिशंकर परसाई की व्यंग्यात्मक कृति ‘रानी नागफनी की कहानी’ का मंचन हुआ, जिसे सुरेंद्र शर्मा के निर्देशन में रंग सप्तक समूह ने प्रस्तुत किया। यह नाटक समकालीन सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर तीखा व्यंग्य प्रस्तुत करता है। नाटक की पात्र संरचना और कथा प्रवाह ने आधुनिक समाज की विसंगतियों को बड़े ही रोचक और हास्यपूर्ण अंदाज में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इस व्यंग्य नाटक का खूब आनंद उठाया और इसकी गूढ़ सामाजिक व्याख्या को सराहा।


उत्सव के तीसरे दिन दो और बेहतरीन नाटकों का मंचन किया जाएगा। दोपहर 3:30 बजे ‘दार्जिलिंग वेनम’ का मंचन होगा, जिसे दिव्यांशु कुमार और क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह नाटक दर्शकों को एक गहन और रोमांचक अनुभव देने का वादा करता है। वहीं, शाम 7:00 बजे बासब भट्टाचार्य के निर्देशन में हास्य नाटक ‘सइयां भए कोतवाल’ का मंचन किया जाएगा, जो उत्सव का शानदार समापन करेगा।


भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 भारतीय रंगमंच की विविधता और उत्कृष्टता का प्रतीक बनकर उभर रहा है, जहां सामाजिक, व्यंग्यात्मक और हास्य नाटकों का संगम दर्शकों को अपनी समृद्ध परंपरा से जोड़ रहा है।

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