बुधवार, 25 दिसंबर 2024

नजरिया जीने का: भरतमुनि रंग उत्सव 2024@सामाजिक अलगाव, वैवाहिक संबंधों और धुंधली सच्चाइयों जैसे विषयों को समर्पित

Najariya jine ka Bharatmuni rang utsav

भरतमुनि रंग उत्सव 2024 के दूसरे दिन ने अपनी रंगमंचीय प्रस्तुति से दर्शकों को बांधकर रखा, जो उद्घाटन दिवस की अद्वितीय सफलता के बाद और अधिक उत्साहजनक बन गया। 23 दिसंबर को शुरू हुए इस उत्सव ने पहले दिन तीन शानदार नाटकों 'असमंजस बाबू', 'आखिरी हिला' और 'धुंध' के साथ अपनी शुरुआत की। ये नाटक सामाजिक अलगाव, वैवाहिक संबंधों और धुंधली सच्चाइयों जैसे विषयों पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करते हुए दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर गए।

दूसरे दिन के कार्यक्रमों ने भी समान रूप से प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ दर्शकों को जोड़े रखा। सआदत हसन मंटो द्वारा लिखित और अमर साह द्वारा निर्देशित नाटक 'इंतजार' ने दो पात्रों की भावनात्मक स्थिति और उनके अस्तित्वगत संघर्षों को बड़े ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। न्यूनतम सेटिंग और गहन संवादों के माध्यम से इस नाटक ने प्रतीक्षा के सार्वभौमिक मानवीय अनुभव को जीवंत कर दिया।

'पुरुष: द गॉड ऑफ फ्यू इंचेस', शुद्धो बनर्जी द्वारा लिखित और निर्देशित एकल प्रस्तुति, पारंपरिक पुरुषत्व की अवधारणा और समकालीन वास्तविकताओं के बीच टकराव को दर्शाती है। नाटक की गहराई और संदेश ने समाज के कई पहलुओं पर विचार करने को मजबूर किया। वहीं, अब्दुस सलाम अंसारी द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक 'किस्सा आदमी का' ने हास्य और व्यंग्य के माध्यम से पहचान और सामाजिक मानदंडों पर प्रकाश डाला। दो अजनबियों के बीच के रोचक सवालों ने समाज की परंपरागत धारणाओं को चुनौती दी और दर्शकों को हंसने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर किया।

उत्सव के आगामी दिनों में थिएटर प्रेमियों के लिए और भी दिलचस्प नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे। 25 दिसंबर को 'खाली बोतलें खाली डिब्बे', 'हैमलेट हरताज वर्सेज़ द को' और 'मेरे कबीर – दास्तानगोई' दर्शकों का मन मोह लेंगे। 26 दिसंबर को भव्य समापन के तहत 'तृष्णा', 'मरणोपरांत' और 'दिग्दर्शक' का मंचन किया जाएगा, जो उत्सव को एक यादगार अंत देगा।

भरतमुनि रंग उत्सव 2024, रंगमंच की अद्वितीय शक्ति और समाज के सत्य को प्रतिबिंबित करने वाले इन नाटकों का प्रमाण है। इन भारतीय रंगमंच की उत्कृष्ट कृतियों का हिस्सा बनने का मौका न गंवाएं।

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