उत्सव के अंतिम दिन की शुरुआत प्रसिद्ध हास्य कलाकार वीआईपी की ऊर्जावान स्टैंड-अप प्रस्तुति से हुई। उनके मजाकिया अंदाज, गजब की कॉमिक टाइमिंग और तीखे व्यंग्य ने दर्शकों को ठहाकों से सराबोर कर दिया। इसके बाद मंच पर पेश हुआ श्याम कुमार द्वारा निर्देशित नाटक बैंक मैनेजर।
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यह नाटक रूस के प्रख्यात लेखक एंटन चेखव की दो प्रसिद्ध कहानियों सर्जरी और ए डिफेंसलेस क्रिएचर पर आधारित था। नाटक में हास्य और व्यंग्य के माध्यम से रोजमर्रा की जिंदगी की विडंबनाओं को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया। एक परेशान बैंक मैनेजर, अपने हक के लिए लड़ती जिद्दी महिला, और हास्यास्पद चिकित्सा का सामना करते क्लर्क की कहानियों ने दर्शकों को गुदगुदाया और सोचने पर मजबूर किया।
शुरुआत से समापन तक हंसी का सफर
पहले दिन की शुरुआत सुनील पाल की हास्य प्रस्तुति से हुई। उनकी सहज शैली और चुटीले पंच ने दर्शकों को खूब हंसाया। इसके बाद मंच पर पेश हुआ हबीब तनवीर का प्रसिद्ध नाटक चारंदास चोर, जिसे एनएसडी के राजेश तिवारी ने निर्देशित किया था। इस व्यंग्यात्मक नाटक ने नैतिकता और मानवीय स्वभाव के जटिल पहलुओं को खूबसूरती से उजागर किया।
दूसरे दिन एहसान कुरैशी ने अपने अनोखे हास्य अंदाज से दर्शकों को बांधे रखा। इसके बाद जयवर्धन सिंह का नाटक घर का न घाट का, जिसे जे.पी. सिंह ने निर्देशित किया, ने सामाजिक दबावों और परंपराओं को हास्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस नाटक ने पारिवारिक संघर्षों और पुरुष उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर गहरी चर्चा छेड़ी।
हास्य और नाट्य कला का अनूठा संगम
तीन दिन तक चले हास्य रंग उत्सव ने साबित किया कि हंसी न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि प्रेरणा और विचारों को भी जन्म देती है। इस उत्सव में प्रतिभाशाली कलाकारों, समय-चेतना से भरी कहानियों और शानदार प्रस्तुतियों का अनूठा संगम देखने को मिला
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