मंगलवार, 4 नवंबर 2025

नजरिया जीने का: दूसरों के सोशल साइट स्टेटस देखकर अपने घर की सुख शांति नहीं खोएं


आज के डिजिटल युग में एक चलन सा बन गया है जहां हम अपने दैनिक गतिविधियों और सामाजिक व्यस्तताओं को सोशल सोशल साइट पर स्टेटस का अपडेट करना जीवन के एक फैशन बन चूका है. अगर सिर्फ अपडेट करना और अपने चाहने वालों को बताना हीं लक्ष्य होता तो यहाँ तक ठीक है, लेकिन विडम्बना यह है कि हम दूसरों के स्टेटस और उनके अपडेट देखकर अपनी घरों की सुख शांति को बर्बाद कर आग लगा रहे होते हैं. 

जाहिर है, आप खुद के घरों के शांति के लिए दूसरों के स्टेटस और अपडेट को जिम्मेदार नहीं बता सकते, लेकिन आप अपनी घरों की सुख और शांति के लिए कारण तो बन सकते हैं. दोस्तों  भले हीं आपको यह विषय निरर्थक और अप्रासंगिक लगे, लेकिन अगर आप विचार करेंगे तो पाएंगे की आज लोग खासतौर पर महिलायें इस गंभीर बीमारी से ग्रसित हो कर खुद अपनी और अपने घर की मानसिक  शांति को भंग कर रही है. 

कहने की जरुरत नहीं है कि आज व्हाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल साइट्स पर अपने स्टेटस को डालना और दूसरों के अपडेट  को देखना हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बन चुका है। निश्चित हीं इस प्रकार की स्टेटस और अपडेट डालना कोई गलत नहीं क्योंकि  आज के समय में आखिर  अपनी भावनाएं, विचार, खुशियाँ और कभी-कभी दुख भी स्टेटस के रूप में शेयर से हम अपनों के साथ जुड़े भी रहते हैं. लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी सी सीधी और सहज है? 

दूसरों के स्टेटस से खुद को जोड़ना गलत

 आप चाहें तो खुद की मानसिक स्थिति या खास तौर पर महिलाओं के स्टेटस अपडेट पर प्रतिक्रिया को देखेंगे तो पाएंगे कि कई बार हम किसी का स्टेटस देखकर अनावश्यक रूप से परेशान या असुरक्षित महसूस करने लगते हैं, जो हमारी मानसिक शांति के लिए बेहद हानिकारक साबित होता है।ह म किसी के स्टेटस को देखकर सोच लेते हैं कि वह हमारे लिए ही कुछ कहना चाहता है जबकि कोई खास व्यक्ति अपने गतिविधियों या किसी आयोजन को लेकर सिर्फ अपडेट मात्र करता है लेकिन विडम्बना यह है कि हम ईर्ष्यालु पोस्ट समझकर खुद की मानसिक शांति को ख़राब करते हैं. जबकि असलियत में वह किसी और परिस्थिति या मूड के तहत लिखा गया हो सकता है। हर बात को अपने ऊपर लेना आत्म-पीड़ा का कारण बनता है।

मानसिक शांति दूसरे की स्टेटस से कहीं ज़्यादा कीमती 

अक्सर आप देखेंगे की जब कभी हम हम दूसरों के महंगे गिफ्ट, यात्रा या खुशियों से भरे स्टेटस देखते हैं, तो हम इस प्रकार से नहीं लेते जैसे की उसने सिर्फ हमें बताया है आया अपना सुख वाला मोमेंट शेयर किया है. हमारे मन में उसे अपडेट या स्टेटस के प्रति खुद के में तुलना

का भाव आने लगती है जो हमारे घर की सुख शांति और परिवार के अपने व्यक्तिगत सौहार्द को ख़राब करता है. तुलना हमेशा से गलत होता है और इसका असर हमेशा से ख़राब होता है अगर यह अपना नेचुरल भाव खो देता है. हम यह भूल जाते  हैं कि सोशल मीडिया सिर्फ दिखाने का मंच है, सच्चाई नहीं और यह सोच हमारे आत्मविश्वास और संतोष को कम करके अपने परिवार के अंदर की शांति को  ख़राब करती है. 

मानसिक अवसाद को बढ़ाती है 

कई बार किसी दूसरे के स्टेटस या  अपडेट हमें अनावश्यक रूप से गुस्सा, ईर्ष्या या दुख का भाव उत्पन्न करता है जो लगातार होने पर मानसिक रूप से अवसाद उत्पन्न करता है. लोग ऐसे स्थिति  खुद को असहाय समझने लगते  हैं और अपने ऊपर तरस खाना शुरू कर देते हैं. अक्सर ऐसे समय लोग खुद पर नियंत्रण खो देते हैं और बार-बार वह स्टेटस देखने लगते हैं। ऐसा करना अपने भावनात्मक स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है क्योंकि  जितना ध्यान उस पर देंगे, उतनी बेचैनी बढ़ेगी  आपकी मानसिक अशांति को बढ़ाएंगी. 

अपनी ऊर्जा का सद्युपयोग करें, गंवाएं नहीं 

हम इस कदर खुद से कट चुके हैं कि दिन के आरम्भ में  हम पहले अपने बारे में और अपने जरुरी कार्यों के  बारे में  नहीं सोचते जिसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए. लेकिन दूसरों के स्टेटस और अपडेट को देखना हमने ज्यादा जरुरी प्रतीत होता है.  हम अपनी प्राथमिकताओं की अनदेखी कर दूसरों के स्टेटस पर प्रतिक्रिया देने में समय गंवाते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि अगर हम वही ऊर्जा अगर हम सीखने, पढ़ने या खुद को सुधारने में लगाएँ, तो जीवन कहीं अधिक शांत और समृद्ध बन सकता है।


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