बुधवार, 5 नवंबर 2025

नजरिया जीने का: जब मन कहे ‘सब खत्म है’ – तब जानें खुद को कैसे संभालें


नकारात्मक विचारों का आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ऐसा नहीं है कि बड़े और सफल व्यक्तित्व वाले लोगों  को भी इससे गुजरना पड़ता है. हर इंसान के मन में कभी न कभी नकारात्मक विचार आते हैं लेकिन यह जानना जरुरी है कि इन नकारात्मक विचारों  से  आप  कितना जल्दी निकलते हैं क्योंकि अगर आप इनके इन्फ्लुएंस में आ  गए तो फिर आप पॉजिटिव विचारों से दूर हो सकते हैं. याद रखें, नकारात्मक विचारों को खुद से दूर रखना ज्यादा जरुरी है क्योंकि ये आते तो सबके दिमाग में हैं, लेकिन इससे निकलना सभी को नहीं आता क्योंकि हम खुद को मोटिवेट करने के टेक्निक से वाकिफ नहीं होता या नकारात्मक विचारों के गिरफ्त में बुरी तरह से फंस चुके होते हैं. 

र जब ये विचार बार-बार आने लगें और लंबे समय तक टिके रहें, तो यह एक मानसिक ट्रैप की तरह हमें अपने गिरफ्त में ले लेता है जो  न केवल हमारे आत्मविश्वास को कमजोर करता है, बल्कि हमारे व्यवहार, निर्णय और स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

खुद से सवाल करें 

नकारात्मक विचारों का दौर हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि विचारों को नियंत्रित किया जा सकता है।कभी आपने सोचा है कि अचानक आखिर नकारात्मक विचार क्यों जगह बना लेते हैं. कुछ सवाल ऐसे होते हैं जो सीधे तौर पर नकारात्मक विचार हमारे अंदर हावी करते हैं जैसे कोई असफलता या निराशा का डर खासतौर पर जब चीजें हमारे मन मुताबिक नहीं होतीं या हमें किसी आशा के विपरीत निराशा मिलती है. 

जीवन शार्ट नहीं लॉन्ग रेस है 

दूसरों से हमें अपनी तुलना की आदत भी काफी बुरा प्रभाव डालती है और हमें आज  के प्रतिस्पर्धा वाले दौर में हम किसी से मामूली रूप से भी पिछड़ना नहीं चाहते हैं. हम  ये भूल जाते हैं कि जीवन शार्ट रेस नहीं बल्कि लॉन्ग रेस है और मामूली बढ़त या पीछा होना कोई मतलब है है क्योंकि इसे स्ट्रेटेजी कहते हैं और अंतिम राउंड में जीत को  फाइनल कहा जाता है. 

उम्मीद की एक लौ को जलाना सीखें 

हर नकारात्मक विचार को चुनौती दें, क्योंकि वही आपके आत्मबल की परीक्षा है।”सकारात्मक सोच रखने वाले दोस्तों, परिवार या मार्गदर्शकों से जुड़े रहें। इसके साथ ही जब मन उदास हो, तब अपने भीतर झांकिए — वहां उम्मीद की एक लौ हमेशा जलती रहती हैऔर उस लौ को हमेशा जलाये रखिये. 

अतीत  की जाल से बाहर निकलें 

अक्सर हम अपने  अतीत या पुरानी गलतियों को बार-बार याद करके अपने वर्तमान को खराब करते हैं. यह तय है कि जो ख़तम हो चूका है या बीत गया है वह लौट  नहीं सकता और उससे सिर्फ सबक लेकर हमें आगे की कर देखना हीं हमारे भविष्य का निर्माण करेगा. इसके अतिरिक्त पुराने अतीत के बारे में लगातार सोचने से तनाव, चिंता और अवसाद बढ़ता है जो न केवल हमारे वर्तमान बल्कि भविष्य को भी ख़राब करती है. 

 खुद को कम आंकने की गलती 

अक्सर हम खुद को काम आंकना  दूसरों से अपने  को कम आंकने की बीमारी पाल लेते हैं जिसमे हमें यह लगने लगता  है की समय हमारे साथ नहीं है या मुझमे वह योग्यता नहीं है जो किसी भी प्रकार से  योग्य है और यह हमारी सफलता में सबसे बड़ी बाधा है. इसके अतिरिक्त यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं और यह दीर्घकालिक भी रह सकता है. 


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