सच यह है कि चुप रहने से दुनिया हमें नहीं पहचानेगी। अपने अस्तित्व को पहचान दिलाने के लिए, अपनी आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाने के लिए हमें अपनी और से पूर्ण प्रयास करने होंगे और इसके लिए हमें खुद के वजूद को भी मिटाने से नहीं हिचकनी चाहिए.
अगर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते में खामोश है तो इस ख़ामोशी का मतलब हार नहीं है बल्कि यह ख़ामोशी कभी-कभी गहरी सोच और तैयारी का प्रतीक होती है।
मनमुटाव को दूर कर फिर से संवाद शुरू करना सीखे
लेकिन ध्यान रखें, अगर यह ख़ामोशी हमेशा बनी रहे, तो यह हमें दुनिया से पीछे कर देती है और फिर हम अपने सपने से पीछे हो जाते हैं. इसके लिए जरुरी है कि समय रहते सही समय पर अपनी सोच को शब्द और कर्म में बदलना ज़रूरी है।
याद रखें, जब आपकी मेहनत बोलती है, तो दुनिया चुप होकर सुनती है क्योंकि तब आपके प्रयास नहीं बल्कि उनका परिणाम दुनिया के सामने होता है. मुंशी प्रेमचंद के उस कथन को हमेशा याद रखें -" सफलता में दुर्गुणों को छुपा देने की अद्भुत क्षमता होती है. "
सपनों और हकीकत के बीच की दूरी है एक्शन
याद रखें आपकी प्रयास की ताकत हीं आपकी असली आवाज है असली आवाज़ है क्योंकि लोग आपकी बातों से ज़्यादा आपके काम को सुनते हैं। विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के उस कथन को हमें हमेशा याद रखनी चाहिए जब उनहोंने मिडिया द्वारा उनके फॉर्म को लेकर टिपण्णी और नकारात्मक आभामंडल बनाई गई थी. तब उन्होंने कहाँ था कि -"हमारा बल्ला बोलेगा।"

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