देवों के देव अर्थात महादेव का व्यक्तित्व सम्पूर्ण रूप से रहस्यों से भर हुआ है। एक तरफ उन्हे भोलानाथ कहते हैं जिसका मतलब हीं निकलता है सादगी, दया और करुणा से भरपूर हैं जिन्हे प्रसन्न करना भक्तों के लिए काफी आसान है। वहीं दूसरी तरफ भगवान शिव सत्यम, शिवम, सुंदरम, यानी सत्य, अच्छाई और सुंदरता के रूप में महत्वपूर्ण अच्छाई का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
भगवान शिव सब पर काफी दया और प्रेम रखने वाले हैं चाहे वह देवता हों, असुर हों या साधारण मनुष्य। और यही वजह है कि राक्षसों और दानवों ने भी प्रेम पूर्वक उनका पूजन कर उनसे हीं वरदान लेकर उनके हीं अंत का उपाय अर्थात खुद के विनाश की तैयारी कर लेते थे।
महज एक देवता नहीं,
जीवन के मूल्यों के प्रतीक भी हैं शिव।
भस्म और बाघंबर मे रमे हुए,
संतोष और सादगी के प्रतीक भी हैं शिव।
समुद्र मंथन से निकले विष को पी जाने वाले,
धैर्य और सहनशीलता के प्रतीक भी हैं शिव।
बाहरी कोलाहल और तांडव से परे,
ध्यान और समाधि के प्रतीक भी हैं शिव।
देवता, असुर या हों सामान्य भक्त सब पर ,
एक समान दृष्टि के प्रतीक भी हैं शिव।
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