सोमवार, 14 अप्रैल 2025

नजरिया जीने का: सीखें गौतम बुद्ध से जीने की कला "हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है स्वयं पर विजय प्राप्त करना"

  


नजरिया जीने का:  जीने की कला अगर सीखना हो तो गौतम बुद्ध से बड़ा कोई शिक्षक शायद ही हो सकता है। हजारों युद्ध को जीतने से बेहतर जिनके लिए खुद को जितना ज्यादा जरूरी लगता है। 
सम्राट अशोक का कलिंग विजय की कहानी तो आपने पढ़ी होगी। लाखों की हत्या वाले युद्ध मे जिसमे विजय सम्राट की अशोक की होती है लेकिन वो महारानी पदमा से हार जाते हैं। उस महारानी पदमा से जिनके पति अर्थात कलिंग के  महाराज युद्ध हार चुके होते हैं। 
 तभी तो गौतम बुद्ध ने कहा है कि  "हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है स्वयं पर विजय प्राप्त करना"। 
गौतम बुद्ध, जिनका असली नाम सिद्धार्थ गौतम था, का जन्म 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी (वर्तमान में नेपाल में) में हुआ था। वे शाक्य वंश के राजकुमार थे और उनके पिता राजा शुद्धोधन थे। सिद्धार्थ ने बचपन से ही सुखी और आलीशान जीवन जिया, लेकिन जब उन्होंने बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु देखी, तो उन्हें जीवन के असली दुखों का एहसास हुआ।

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मे, उन्होंने दुखों से दूर एक विशेषाधिकार प्राप्त जीवन जिया। हालाँकि, वे बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु की अपरिहार्य वास्तविकताओं से बहुत परेशान हो गए थे

जब वे राजसी जीवन के भोग-विलास से ऊब गए, तो गौतम समझ की तलाश में दुनिया भर में भटकने लगे। वास्तव में, यह उनकी गहरी रुचि और सत्य की खोज में उनके गहरे आंतरिक विचार थे, जिसके लिए उन्होंने 29 वर्ष की आयु में महल, परिवार और सुख-सुविधाओं को त्याग दिया।

कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद, उन्होंने बोधगया (भारत) में एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए बोधि (ज्ञान) प्राप्त किया। आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद, उन्हें गौतम बुद्ध कहा गया और उन्होंने अपना जीवन सत्य, करुणा और अहिंसा के उपदेश के लिए समर्पित कर दिया। गौतम बुद्ध का जीवन संघर्ष, आत्मज्ञान और शक्तिशाली शिक्षाओं के प्रसार की एक गहन कहानी है। 

सिद्धार्थ गौतम के रूप में जन्मे, उन्होंने एक विशेषाधिकार प्राप्त जीवन जिया, दुख से दूर रहे। हालाँकि, वे बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु की अपरिहार्य वास्तविकताओं से बहुत परेशान हो गए। इस अस्तित्वगत पीड़ा ने उन्हें आध्यात्मिक सत्य की खोज में अपने आरामदायक जीवन को त्यागने के लिए प्रेरित किया। 

गौतम बुद्ध का स्पष्ट मानना है कि ध्यान और मेधावी जीवन का अभ्यास व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है और यही कारण है की  बौद्ध धर्म में ध्यान को सर्वोत्तम साधना माना जाता है। गौतम बुद्ध ने दुनिया को बताया कि ध्यान और साधना के जरिए हिन व्यक्ति अपने विचारों पर नियंत्रण पा सकता है। अगर आपको अपने जीवन को अधिक संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाना लक्ष्य है,  तो फिर आपको बुद्ध के बताए गए ध्यान के मार्ग पर चलना ही होगा। 

तपस्वी मार्ग: उन्होंने एक कठोर तपस्वी यात्रा शुरू की, जिसमें अत्यधिक आत्म-त्याग का अभ्यास किया। इस अवधि में तीव्र शारीरिक कष्टों की विशेषता थी। उन्होंने पाया कि यह चरम मार्ग आत्मज्ञान की ओर नहीं ले जाता। मध्यम मार्ग: दोनों चरम सीमाओं (भोग और आत्म-पीड़ा) की निरर्थकता को समझते हुए, उन्होंने "मध्य मार्ग" की खोज की। यह मार्ग संतुलन और संयम पर जोर देता है।

बोधि वृक्ष के नीचे ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

गौतम बुद्ध के अनुसार, "ज्ञान केवल अनुभवों से ही प्राप्त किया जा सकता है, शिक्षाओं से नहीं। कठिन परिस्थितियों और कठिन समय से गुज़रने के बाद ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान सिखाया नहीं जा सकता। जितना आप अपने सम्मान करने वाले लोगों की शिक्षाओं को सुनने की कोशिश करते हैं, उतना ही सच्चा ज्ञान केवल खुद से ही सीखा जा सकता है।"

चार आर्य सत्य:

  • दुःख: जीवन में दुःख अनिवार्य है।
  • दुःख का कारण: तृष्णा (इच्छा) सभी दुःखों का मूल कारण है।
  • दुःख का निरोध: तृष्णा का अंत करके दुःख का अंत किया जा सकता है।
  • दुःख निरोध का मार्ग: अष्टांगिक मार्ग का पालन करके दुःख का निरोध संभव है।


गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

"क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थ को उदारता से और झूठ को सच्चाई से जीता जाता है।"

"मनुष्य अपने विचारों से ही निर्मित होता है, जैसा वह सोचता है वैसा ही बन जाता है।"

"जो व्यक्ति खुद पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह सबसे महान विजेता है।"

"भविष्य के बारे में मत सोचो, वर्तमान में जियो और उसे बेहतरीन बनाओ।"

"स्वयं पर विजय प्राप्त करना हजारों लड़ाइयों को जीतने से बेहतर है।"

"सच्चा सुख इच्छाओं के त्याग में है, न कि उनकी पूर्ति में।"

"हर सुबह एक नया जन्म है, आज जो कुछ भी करें वह सबसे महत्वपूर्ण है।"

नजरिया जीने का: शब्दों से नहीं, बल्कि एहसासों से बनाएं रिश्तों की मिठास

Najariya jine ka  How to make relationship in todays fast life

अगर आपको ऐसा लगता है कि संबंधों को चलाने के लिए पैसा और शब्दों की जरूरत होती है तो आप एक बार फिर से सोचें। आज के सोशल मीडिया के दौड़ मे जहां हर के हाथों मे मोबाईल और सोशल मीडिया अकाउंट है, फिर भी संबंध क्यों गायब हो रहे हैं? याद रखें, संबंधों को चलाने के समय और प्रेम की जरूरत ज्यादा होती है न कि केवल शब्दों की।

यह सच है कि आज सबके जीवन मे जीने के लिए भागदौड़ के जरूरत है और इसके बगैर जीवन की कल्पना भी करना मुश्किल है। लेकिन यह भी सच है कि भरे जीवन में सबसे अमूल्य चीज़ 'समय' है, और संबंधों को चलाने के लिए हमें अपनों के लिए समय निकालना और उनका हालचाल लेना  ही सच्चा प्रेम है।

याद रखें, रिश्ते कभी भी  शब्दों के मोहताज नहीं होते, अगर आपसी समझ और अन्डर्स्टैन्डिंग क्लेयर हो तो खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है। 


आपके अपनों के साथ आपके रिश्तों की खूबसूरती आपसी विश्वास और सम्मान में छिपी होती है और इन्हे सँजोने और सँवारने मे हमें पनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। याद रखें, जहाँ यह टूटे, वहाँ रिश्ता बिखर जाता है और फिर हमें हाथ मलने के अलावा कुछ भी पास नहीं रहता है। 

रिश्ते कांच की तरह होते हैं..

याद रखें, रिश्ते कांच की तरह होते हैं और इसलिए इन्हें संभालकर रखनी जरूरी है क्योंकि अगर एक बार टूट जाएं तो जोड़ने पर दरारें रह ही जाती हैं और फिर अपने हीं अपने होते हैं जो खासतौर पर बुरे समय मे साथ होते हैं। 

जीवन की भगदौड़ जीवन की जरूरत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन हम दौड़ते-भागते जीवन में बहुत कुछ कमा तो सकते हैं, पर अगर इस भागदौड़ मे अगर रिश्ते हीं खो दिए, तो सब बेकार है।

रिश्तों की अहमियत हमें तब समझ आती है जब हम क्राइसिस मे होते हैं या जब जीवन मे किसी खास संकट या परेशानी मे होते हैं। जहां लोग अपनों से मुंह फेर लेते हैं और और ऐसे समय में हमारे रिश्तेदार या सगे हीं काम आते हैं। इसलिए अपनों को समय देना न भूलें।"

जीवन की असली पूंजी सच्चे रिश्ते...

पैसा जीवन मे सर्वाइवल के लिए जरूरी है और खासतौर पर आज के युवा का सोचना है की अगर आपके पास पैसा है तो जीवन मे हर खुशी आपके पास है। लेकिन याद रखें दोस्तों, जीवन की असली पूंजी पैसा नहीं, बल्कि सच्चे रिश्ते होते हैं क्योंकि पैसे होते हुए भी रिश्ते का खोना और अपनों का दूर होना यह साबित  करता है की रिश्ते को पैसे नहीं खरीद सकते। 

आज जीवन मे जो स्वरूप और भगदौड़ है उसमें हर कोई व्यस्त है और इससे भला इंकार कैसे किया जा सकता है लेकिन इस भागदौड़ में  भी आपके माता पिता या अपने भाई बहन आपके हाल चाल के लिए और आपके लिए वक़्त निकालता है, क्योंकि वही आपका सच्चा अपना है।

 याद रखें, सोशल मीडिया मे जहां हमारे अपने हमसे छूट रहें हैं, ऐसे समय मे रिश्तों की मिठास शब्दों से नहीं, बल्कि एहसासों से हीं बनाई जा सकती है क्योंकि बनी रहती है। इसके लिए यह जरूरी है कि भागदौड़ में कहीं अपने ही पीछे न छूट जाएं, रुककर अपनों को गले लगाना न भूलें।

सुकून और शांति...

जीवन मे अगर अगर सुकून और शांति और प्रगति चाहते हैं, तो पैसों की दौड़ से ज्यादा, रिश्तों की डोर मजबूत कीजिए क्योंकि  नूक्लीअर  फॅमिली भले हीं क्षणिक शांति दे दे, जीवन का मजा तो जॉइन्ट फॅमिली मे हीं मिलती है जहां हमारे रिश्ते की डोर की बुनियाद भी पड़ती है और मजबूत भी होती है। 

नजरिया जीने का: सिर्फ टैलेंट या स्किल काफी नहीं, खुद के अंदर का जुनून है जरूरी



जीवन में अगर जुनून नहीं है तो फिर जीवन का कुछ भी मतलब नहीं हैं क्योंकि यह जुनून हीं है जो हमें कुछ पाने का मायने बताती है। यह जुनून ही तो है जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मोटिवेट करता है और जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा और उत्साह प्रदान करता है। 

जीवन मे सफलता के लिए अगर आप सोचते हैं की सिर्फ टैलेंट या स्किल होना ही काफी है तो फिर आपको दुबारा सोचने की जरूरत है। याद रखें, सिर्फ टैलेंट या स्किल होना काफी नहीं है तब तक जब तक कि आपके अंदर कुछ कर गुजरने के लिए पैशन या जुनून नहीं है। यह जुनून ही है जो आपको जीवन मे अभाव और सीमित संसधनों के बावजूद आपको सफलता दिल देता है, लेकिन टैलेंट या स्किल होने के बावजूद भी की ऐसे लोग हैं जो बार-बार प्रयास करने के बावजूद अपने लक्ष्य तक पहुंचने मे असफल हो गए ।

आप सोचें कि अगर आपके जीवन लक्ष्य और सपना हीं नहीं हो तो फिर आपका जीवन कितना उद्देश्यहीन हो जायेगा।

ठीक वैसे हीं, जीवन में लक्ष्य और सपना तो हो, लेकिन अगर उन्हें पाने का जुनून नहीं हो तो फिर उन सपनों का क्या होगा? 

जुनून को विकसित करने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप खुद पर विश्वास करने शुरू करें और आरंभ मे छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और उन्हे हर हाल मे पाने की कोशिश करें। उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद को होम करे दें और अपने तमाम संसाधन और माइंड सेट को उसके प्रति होम कर दें। विश्वास करें, एक बार आप जब अपने छोटे से लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे तो आपका आत्मविश्वास और जुनून बढ़ता जाएगा।
 
 हमारा जुनून उन लक्ष्यों और सपनों को प्राप्त करने के लिए हमें उत्साह और ऊर्जा प्रदान करता है जिसके बगैर हम उन्हें पाने की सोच भी नहीं सकते।

आज के जीवन में मिलने वाले संघर्ष और चुनौतियों से आप इंकार नहीं कर सकते और ऐसे में यह आपका जुनून हीं हैं जो इन चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान  करता है।

याद रखें दोस्तों,जुनून के बिना हम इंसान तो क्या, जानवर भी अपने सर्वाइवल के लिए मुश्किल में पड़ जाएंगे।

एक शेर को अपने भोजन के लिए हिरन के पीछे भागना भी जुनून है, वहीं हिरन को भी अपने जान को बचाने का जुनून भी जरूरी है।

नजरिया जीने का: अपने विचारों को दीजिए खुला आकाश-बड़ा सोचें और अपने जीवन में बड़ा हासिल करें

 najariya jine ka thinking ha no limit think high achieve big


 अगर आप असीमित शब्द के सार्थकता को समझेंगे तो पाएंगे कि यह शब्द बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह आपको  विश्वास दिलाता है कि आप वह सब कुछ कर सकता हूं जो आप चाहते हैं। सच तो यही है कि यह आपकी असीमित सोच है जो आपके अंदर के विचारों को जागृत करता है और  संभावनाओं की याद दिलाता है, तब भी जब सारी परिस्थितियाँ मेरे विरुद्ध हों। असीमित सोच और असीमित विचारों पर विश्वास करके, आप असीमित चीजें हासिल कर सकते हैं हाँ इसके लिए पहल आपको हीं करनी होगी। नजरिया जीने का  एक ऐसा हीं मंच है जो आपके अंदर की आग को जलाने की कोशिश करती है जो क्योंकि आपके अंदर की आग सबसे बड़ी चीज है। 


सोचने की कोई सीमा नहीं है, इसलिए बड़ा सोचें और अपने जीवन में बड़ा हासिल करें क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर अपार शक्ति है और हमें बस उसे प्रज्वलित करना है। प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। 
विडम्बना यह हैं कि प्रकृति ने तो हमें कोई भेदभाव नहीं किया हमें शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने में, लेकिन यह केवल हम ही हैं जो अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है।

आपके आस-पास होने वाली हर घटना को कुछ न कुछ सीमा प्रदान की गई है। चाहे वह सड़क हो, क्रेडिट/डेबिट कार्ड हो, आपका शरीर हो, आपके शरीर के अंग हों और यहां तक कि सभी अत्यधिक परिष्कृत और नवीनतम उपकरण हों, उनके उपयुक्त और मानक प्रदर्शन की अपनी सीमाएं हैं। 

यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

असीमित सोच:

हमारा दिमाग शारीरिक बाधाओं से बंधा नहीं है और हम चाहें तो हम वर्तमान और सीमाओं से परे कल्पना कर सकते हैं, अन्वेषण कर सकते हैं और सपने देख सकते हैं। यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

नजरिया जीने का: आपकी प्रसन्नता में छिपा है आपकी सफलता का रहस्य

यह केवल हम ही हैं जो इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है, अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं। यह असीमित सोच हमें उन संभावनाओं पर विचार करने की अनुमति देती है जो पहली नज़र में संभव नहीं लगती हैं।

बड़ी सोच का महत्व:

प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने से प्रेरणा मिलती है और हमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

बड़ी सोच चुनौतियों का सामना करने में नवीनता, रचनात्मकता और लचीलेपन को बढ़ावा देती है। हमें ऊंचा सोचना चाहिए और अपनी सोच को नई ऊंचाइयां प्रदान करनी चाहिए, आश्चर्यजनक रूप से हम अखबारों और टीवी समाचारों में ऐसे चमत्कार रचने वालों से गुजरते रहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे लोगों ने अपनी सोच को नई ऊंचाई प्रदान की है और अपने जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया है.


संतुलन महत्वपूर्ण है-

जबकि बड़ा सोचना महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ हीं सुनिश्चित करना भी जरुरी है कि आपके लक्ष्य भी यथार्थवादी हों और आपके मूल्यों और संसाधनों के अनुरूप हों। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, सीखने, बढ़ने और उनके साथ तालमेल बिठाने की प्रक्रिया अत्यधिक मूल्यवान है। 

दुनिया में हर सफल शख्सियत ने तभी बड़ा हासिल किया है, जब उसने बड़ा सोचने का साहस किया। हमें एक मुर्ख और लापरवाह इंसान बनने की मानसिकता को बदलने के लिए तैयार रहना होगा न कि यह सोचना होगा कि प्रकृति ने हमें चमत्कार करने की सारी शक्ति और विचारों से सुसज्जित किया है।



शनिवार, 12 अप्रैल 2025

नजरिया जीने का : अल्बर्ट आइंस्टाइन के इन पांच टिप्स से करें बच्चो की पेरेंटिंग


अल्बर्ट आइंस्टीन दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने फिजिक्स में कई महत्वपूर्ण योगदान दिया है. अल्बर्ट आइंस्टाइन की विलक्षण सोच और उनकी प्रतिभा का दुनिया कायल है. आइए हम जानें कि पेरेंटिंग टिप्स अर्थात बच्चों के संबंध में संसार के इन महान वैज्ञानिकों का क्या कहना ह

आत्मविश्वास और स्वतंत्रता पर बल: 
बच्चों के संबंध में आइंस्टीन ने पेरेंट्स के लिए संदेश दिया है कि आप अपने बच्चों को सोचने और कुछ अलग करने के लिए उन्हें पर्याप्त आजादी दें. बेशक पेरेंटिंग मॉनिटरिंग करे, लेकिन उनके अपने बच्चों को आज़ादी देने किसी प्रकार की कंजूसी नहीं करनी चाहिए. उनका मानना था कि बच्चों को आजादी देने से हीं उनके अंदर आत्मविश्वास और स्वतंत्रता की भावना विकसित होती है।

जिज्ञासा बढ़ाएं: 
अल्बर्ट आइंस्टीन का यह साफ मानना था के बच्चों में जिज्ञासा का बढ़ना बहुत जरूरी . इसके लिए इसके लिए यह जरूरी है की परेंट्स  बच्चोंक साथ समय  बिताए. अल्बर्ट आइंस्टीन अल्बर्ट आइंस्टीन का यह मानना था की बच्चों में सीखने की इच्छा और जानने की उत्कंठा बहुत जरूरी है.  इससे बच्चों में सीखने की इच्छा और नए ज्ञान की खोज करने की क्षमता विकसित होती है।

रचनात्मकता को प्रोत्साहित करें: 
बच्चों के अंदर रचनात्मक का होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि क्रिएटिव माइंड के बच्चे हैं ज्यादा सफल होते हैं. अल्बर्ट आइस्टीन ने बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए जोर देते हुए कहा कि उनके अंदर उनके अंदर कल्पना शीलता का होना  बहुत जरूरी है. इससे बच्चों में कल्पनाशीलता और नवाचार की क्षमता विकसित होती है।

विफलता को स्वीकार करें:
 बच्चों के अंदर साहस और धर या की भवना विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि आप उनकी प्रारंभिक विफलताओ को स्वीकार करना सीखें. प्रारंभिक विफलताओं को स्वीकार करे. लेकिन उनकी इच्छा शक्ति पर इसे हावी नहीं होने दें. जैसा कि आप जानते हैं साहस की तरह भाई भी संक्रामक होता है इसलिए यह जरूरी है कि आप बच्चों के अंदर से भाई को हटाकर उनके अंदर साहस और धैर्य की भावना को विकसित करने में अपना योगदान दें.

सुरक्षा की भावना पर बल:
 अल्बर्ट आइंस्टाइन ने बच्चों के साथ समय बिताने और उनके साथ मित्रवत रहने पर जोर दिया था उनका मानना था के पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ हमेशा प्रेम और समर्थन के साथ खड़ा रहना चाहिए. पेरेंट्स के प्रेम और समर्थन से बच्चों में आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना विकसित होती 

रविवार, 6 अप्रैल 2025

नजरिया जीने का: भगवान राम के जीवन से सीखें कैसे सच्चे रिश्ते सुविधा नहीं, समर्पण से बनते हैं


हर रिश्ते की आधारशिला भरोसा है। जब आपको अपने साथी के निर्देशों पर भरोसा होता है और लगता है कि उनके इरादे उचित हैं, तो इससे शक्ति का संतुलन बनता है जो भागीदारों के बीच भावनात्मक संबंधों को लाभ पहुंचाता है। समर्पण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि भागीदार स्वेच्छा से एक दूसरे के लिए बलिदान करते हैं, जिससे उनकी एकता मजबूत होती है।

सच्चाई तो यही है कि समर्पण से ही सच्चे रिश्ते बनते हैं. समर्पण की भावना से रिश्तों में दरार नहीं पड़ती. समर्पण से रिश्ते मज़बूत होते हैं और भावनात्मक संबंध गहरा होते हैं. 

मर्यादा पुरुषोतम भगवान राम का जीवन हमें काफी कुछ सिखाता है क्योंकि उनके जीवन की प्रत्येक घटना जीवन मे  संबंधों और आत्मीयता के भरोसा की बुनियाद जैसी है। कहते हैं नया की विश्ववास प्रेम की पहली सीढ़ी होती है और भगवान राम ने विश्वास के बदौलत हीं सबका दिल जीता है। 

वो एक पुत्र का धर्म निभाते हुए अपने जिन्होंने पिता की बात मानी और एक आदर्श पुत्र के रूप मे जाने गए। इसके साथ हीं भगवान राम एक आदर्श पति की भूमिका मे पत्नी की मर्यादा रखी।एक तरफ वो एक मित्र के रूप मे अपने सहयोगियों को को पर्याप्त  सम्मान दिया और सेवक को भी दोस्ती का दर्जा देने मे जरा भी संकोच नहीं किया। 

रामायण के प्रसंग का यदि आप अवलोकन करेंगे तो पाएंगे कि राम के जीवन की सबसे पहली परीक्षा तब आई जब उन्हें अयोध्या का राजा घोषित किया जाना था। लेकिन सौतेली माँ कैकेयी ने उन्हें वनवास भेजने की माँग कर दी।

 एक तरफ था राजपाठ, आराम, सम्मान। दूसरी ओर था जंगल, कष्ट और अनिश्चितता, लेकिन उन्होंने अविलंब वनवास स्वीकार किया और राज पाट को त्यागकर बिना कोई शिकायत किए, मुस्कुराकर वनवास स्वीकार को निकाल पड़ते हैं तो लक्ष्मण और सीता भी उनके साथ चलने को तैयार हो जाते हैं।  एक राजा की पत्नी होकर भी सीता जंगल की कुटिया में रहकर हर कष्ट में राम के साथ रहीं। कहा जाता है कि लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक नींद नहीं ली और हर पल भगवान राम और सीता की सेवा मे लगे रहे। 

क्या यह रिश्ते मे एक समर्पण का भाव नहीं है?

 हमारा रिश्ता मूल रूप से आपसी सम्मान पर आधारित है। हमारे संबंध में विश्वास भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वस्थ रिश्तों में, आपसी सम्मान और विश्वास तब प्रदर्शित होता है जब निर्णय लेने में हम एक-दूसरे के निर्णय को मानते हैं और अपनी निर्णय को थोपते हैं बल्कि एक सामंजस्य बैठाने का प्रयत्न किया जाता है। 

सोमवार, 31 मार्च 2025

नजरिया जीने का: नीली रोशनी में देखें राष्ट्रपति भवन का विहंगम दृश्य

 

विश्व बाल दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन... प्रत्येक बच्चे के अधिकारों का जश्न मनाने के लिए, हर साल 19-20 नवंबर को विश्व स्तर पर और भारत में ऐतिहासिक स्थलों को नीली रोशनी में सजाय  जाता है। इस वर्ष के विश्व बाल दिवस का थीं है "भविष्य की बात सुनें" ।

नजरिया जीने का @पेरेंटिंग टिप्स - माता-पिता-बच्चे के रिश्ते को ऐसे करें मजबूत


आज कि जीवन स्टाइल मे जहां सबके पास काफी हेक्टिक लाइफ सेडयूल है और घर से ऑफिस तक का स्ट्रेस सभी पेरेंट्स पर हावी हो चुका है। सवाल है कि  ऐसे लाइफ स्टाइल मे उन बच्चों के लिए हम पेरेंट्स कितना न्याय  कर पाते हैं जिनके लिए हीं हम ये तमाम स्ट्रेस लेते हैं। मत-पिता और बच्चों के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए प्यार, विश्वास और समझ की ज़रूरत होती है। यहाँ कुछ पेरेंटिंग टिप्स दिए गए हैं जो आपके रिश्ते को और बेहतर बना सकते हैं:

बच्चों के साथ समय बिताएं

तमाम व्यस्तताओं के वावजूद आप अपने बच्चों के साथ दिन का कुछ समय सिर्फ और सिर्फ उनके लिए रखें। बच्चों के साथ जब आप हों तब सिर्फ उनकी सुने  और अपनी परेशानियों को खुद से दूर रखे क्योंकि आपकी परेशानी आप से अधिक  आपके बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है। याद रखें, हमारी परेशानियों कि चर्चा के लिए हमारे पार्टनर हैं, बच्चे नहीं। 

बच्चों से खुलकर बात करें

बच्चों के साथ अगर आप हैं तो  सब से पहले उन्हे यह विश्वास दिलाएं कि आप सिर्फ उनके लिए उनके साथ हैं और उनकी बातों को ध्यान से सुनें। उनकी बातों को सुनने के साथ ही उनके परेशानियों को समझे कुछ ऐसे कि  वो आपसे कुछ भी छिपायें नहीं। इसके साथ ही आप उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। जब बच्चा किसी समस्या से गुज़र रहा हो, तो उसे भावनात्मक सहारा दें साथ ही उन्हें बताएं कि आप हर परिस्थिति में उनके साथ हैं।

प्रशंसा और प्रोत्साहन दें

प्रशंसा और प्रोत्साहन कि भूख भला किसे नहीं होती है। वो कहते  हैं ना  कि "प्रेम से जानवरों को भी वश मे किया जा सकता है।" बच्चों को प्रेम प्रदर्शित करें और उनकी प्रसंशा करें। बच्चों को उनकी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर भी उनकी सराहना करें और उन्हे प्रोत्साहित करें ताकि उन्हे लगे कि उसने कुछ अच्छा किया है। 

घर में अनुशासन के लिए नियम बनाएं 

अनुशासन कि महत्व को उन्हे समझने और घर मे भी उचित माहौल रखें। खुद भी अनुसाशन का पालन करें और उन्हे यह अहसास दिलाएं कि अनुसाशन का महत्व जीवन मे कितना महत्वपूर्ण है। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की आदतें और व्यवहार अपनाते हैं इसलिए, वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप उनसे अपेक्षा करते हैं।


रविवार, 30 मार्च 2025

नजरिया जीने का: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जीवन है धर्म, सत्य और न्याय के प्रति समर्पण का प्रतीक


राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है। भगवान श्री राम श्रेष्ठ राजा थे. भगवान राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। उनकी कथा मुख्य रूप से वाल्मीकि द्वारा लिखित "रामायण" और तुलसीदास द्वारा लिखित "रामचरितमानस" में वर्णित है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार भगवान राम ने त्रेतायुग में रावण का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिए थे। भगवान राम ने अपने सम्पूर्ण जीवन मे मर्यादा, करुणा, दया, सत्य, सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलते हुए राज किया और यही कारण है कि  उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. 

राम का जीवन हमें मर्यादा, संयम और कर्तव्य का पाठ पढ़ाता है। उन्हें एक आदर्श पुत्र, पति, भाई और राजा के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानी हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखने और धर्म का पालन करने की शिक्षा देती है।

उनका जीवन धर्म, सत्य और न्याय के प्रति समर्पण का प्रतीक है। राम नवमी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्योहार लोगों को नैतिकता, धैर्य और परिवार के प्रति समर्पण की शिक्षा देता है।

राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका जीवन धर्म, सत्य और न्याय के प्रति समर्पण का प्रतीक है। राम नवमी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्योहार लोगों को नैतिकता, धैर्य और परिवार के प्रति समर्पण की शिक्षा देता है।

भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ से शिक्षा प्राप्त की  और यह भगवान राम को मिली  शिक्षाओं का हीं परिणाम था कि उन्होंने जीवन के आदर्शों की उन ऊंचाइयों को प्राप्त किया जिसके कारण उन्हे मर्यादा पुरुषोतम की उपाधि दी गई है। 

माता कैकेयी की बात की मर्यादा को निभाने के लिए भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास जाना पड़ा लेकिन उन्होंने इसे सहर्ष निभाया। वनवास के दौरान रावण ने छल से सीता का हरण कर लिया। यह घटना रामायण के केंद्रीय कथानक का आधार बनी।

राम ने सुग्रीव, हनुमान और वानर सेना की मदद से लंका पर आक्रमण किया। रावण का वध करके उन्होंने सीता को मुक्त कराया और अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की।

राम का जीवन हमें मर्यादा, संयम और कर्तव्य का पाठ पढ़ाता है। उन्हें एक आदर्श पुत्र, पति, भाई और राजा के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानी हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य रखने और धर्म का पालन करने की शिक्षा देती है।

शनिवार, 22 मार्च 2025

नजरिया जीने का: ‘पर्पल फेस्ट' का हुआ राष्ट्रपति भवन मे आयोजन- जानें खास बातें


दिव्यांगजनों की प्रतिभा, उपलब्धियों और आकांक्षाओं का उत्सव मनाने के लिए (21 मार्च, 2025 को  अमृत उद्यान में एक दिवसीय ‘पर्पल फेस्ट’ का आयोजन किया गया।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने महोत्सव का दौरा किया और दिव्यांगजनों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखा। अपने संक्षिप्त वक्तव्य में उन्होंने कहा कि वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता ही किसी देश या समाज की प्रतिष्ठा निर्धारित करती है। करुणा, समावेशिता और सद्भावना हमारी संस्कृति और सभ्यता के मूल्य रहे हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय, समानता और व्यक्ति की गरिमा की बात कही गई है।

आगंतुकों के लिए दिन भर विभिन्न गतिविधियां जैसे खेल, डिजिटल समावेशन और उद्यमिता पर कार्यशालाएं, एबिलिम्पिक्स, रचनात्मक कार्यक्रम और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया गया।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘पर्पल फेस्ट’ का उद्देश्य विभिन्न दिव्यांगता और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा समाज में दिव्यांगजनों की समझ, स्वीकृति और समावेश को बढ़ावा देना है।

मंगलवार, 18 मार्च 2025

भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025: ‘रानी नागफनी की कहानी’ और ‘कन्यादान’ का हुआ मंचन


भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 के दूसरे दिन दोपहर के सत्र में सुप्रसिद्ध नाटककार विजय तेंडुलकर द्वारा रचित सामाजिक नाटक ‘कन्यादान’ और शाम के सत्र में हरिशंकर परसाई की व्यंग्यात्मक कृति ‘रानी नागफनी की कहानी’ का मंचन हुआ का प्रभावी मंचन किया गया। अमूल सागर के निर्देशन में ब्लैक पर्ल आर्ट्स समूह द्वारा प्रस्तुत  नाटक ‘कन्यादान’  ने जातिवाद, आदर्शवाद और सामाजिक बदलाव की जटिलताओं को उजागर किया। कहानी एक प्रगतिशील राजनेता नाथ देवलीकर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी बेटी ज्योति की शादी अरुण अथवले नामक दलित कवि से कराकर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक कदम बढ़ाने का सपना देखते हैं। लेकिन यह आदर्शवादी सोच कठोर वास्तविकता से टकराती है जब ज्योति वैवाहिक जीवन की चुनौतियों का सामना करती है। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को गहरे सामाजिक ताने-बाने पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया।



ऐतिहासिक नाटक ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के शानदार मंचन के साथ भव्य शुरुआत के बाद, साहित्य कला परिषद एवं दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 के दूसरे दिन भी रंगमंच की अनूठी छटा बिखरी। इस दिन दो सशक्त नाटकों का मंचन किया गया, जिन्होंने दर्शकों को गहरे सामाजिक संदेश दिए।


शाम के सत्र में हरिशंकर परसाई की व्यंग्यात्मक कृति ‘रानी नागफनी की कहानी’ का मंचन हुआ, जिसे सुरेंद्र शर्मा के निर्देशन में रंग सप्तक समूह ने प्रस्तुत किया। यह नाटक समकालीन सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर तीखा व्यंग्य प्रस्तुत करता है। नाटक की पात्र संरचना और कथा प्रवाह ने आधुनिक समाज की विसंगतियों को बड़े ही रोचक और हास्यपूर्ण अंदाज में प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इस व्यंग्य नाटक का खूब आनंद उठाया और इसकी गूढ़ सामाजिक व्याख्या को सराहा।


उत्सव के तीसरे दिन दो और बेहतरीन नाटकों का मंचन किया जाएगा। दोपहर 3:30 बजे ‘दार्जिलिंग वेनम’ का मंचन होगा, जिसे दिव्यांशु कुमार और क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह नाटक दर्शकों को एक गहन और रोमांचक अनुभव देने का वादा करता है। वहीं, शाम 7:00 बजे बासब भट्टाचार्य के निर्देशन में हास्य नाटक ‘सइयां भए कोतवाल’ का मंचन किया जाएगा, जो उत्सव का शानदार समापन करेगा।


भारतेन्दु नाट्य उत्सव 2025 भारतीय रंगमंच की विविधता और उत्कृष्टता का प्रतीक बनकर उभर रहा है, जहां सामाजिक, व्यंग्यात्मक और हास्य नाटकों का संगम दर्शकों को अपनी समृद्ध परंपरा से जोड़ रहा है।

शनिवार, 15 मार्च 2025

नजरिया जीने का: धैर्य @ ये पाँच उक्तियाँ आपके जीवन को बदल देंगी


धैर्य और मौन हमारे व्यक्तित्व के दो महत्वपूर्ण गुण हैं। मौन में अपने आप में विशेष शक्ति होती है और यह आपको एक भी शब्द बोले बिना खुद को बेहतर तरीके से व्यक्त करने में मदद करता है। यह एकमात्र मौन है जो सबसे जटिल लोगों और परिस्थितियों से निपटने में मदद करता है, और हमारे जीवन में कोई भी इन तथ्यों को अनदेखा नहीं कर सकता है। यह धैर्य और मौन ही है जो कठिन लोगों से निपटने के दौरान बेकार या बेकार शब्दों का उपयोग करने से बचने में आपकी मदद कर सकता है।



इस तथ्य के बावजूद कि हम पहले से ही दोनों शब्दों से परिचित हैं, फिर भी खुद से पूछने की ज़रूरत है कि क्या हम वास्तव में इन शब्दों से शाब्दिक रूप से परिचित हैं?



धैर्य और मौन दोनों ही जीवन में हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वास्तव में, यह आपके आस-पास होने वाली दैनिक गतिविधियों में आपका मार्गदर्शन करते हैं।



वास्तव में, "धैर्य और मौन दो शक्तिशाली ऊर्जा हैं। धैर्य आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और मौन आपको भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है।"

जब भी आप भ्रम की स्थिति में हों और मानसिक रूप से परेशान हों, तो आपको मौन और धैर्य की अपनी वास्तविक गुणवत्ता को प्रदर्शित करना होगा। निश्चित रूप से जब सब कुछ आपकी इच्छा और उम्मीद के विरुद्ध हो रहा हो तो शांत और मौन रहना आसान काम नहीं होगा।



लेकिन, शांत रहना और मिस्टर कूल की तरह व्यवहार करना आपको प्रसिद्ध क्रिकेटर एम एस धोनी जैसा बना देगा जो मैच के दौरान तनावपूर्ण और कठिन परिस्थितियों में अपने धैर्य और मौन के लिए जाने जाते हैं। धोनी ने मैदान पर क्रिकेट मैच के दौरान कई बार अपने मिस्टर कूल गुणों को साबित किया है।



दुनिया के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा अक्सर कहा करते थे कि मौन कई सवालों का सबसे अच्छा जवाब होता है और आप यकीन नहीं कर सकते कि दुनिया के प्रमुख शीर्ष नेता भी इसी का पालन करते हैं, खासकर कई विवादास्पद और महत्वपूर्ण मुद्दों पर मीडिया और अन्य लोगों से बातचीत करते समय।

नजरिया जीने का: भगवत गीता से सीखें सफलता के लिए जीवन मे धैर्य का महत्व

Najariya jine ka patience with the Bhagwad  Geeta

भगवद गीता में धैर्य (Patience) को महत्वपूर्ण गुणों में से एक बताया गया है, जो किसी व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में सही मार्ग पर बनाए रखने में सहायक होता है। परिवार के साथ धैर्य रखना हीं प्रेम है तथा  दूसरों के साथ धैर्य रखना सम्मान है। खुद के प्रति धैर्य रखना आत्मविश्वास है और ईश्वर के प्रति धैर्य ही विश्वास है।  गीता में धैर्य को आत्मसंयम, स्थिरता, और मन की शांति के साथ जोड़ा गया है।

गीता के अनुसार, धैर्य केवल प्रतीक्षा नहीं है, बल्कि आत्मसंयम, सकारात्मक दृष्टिकोण और सही मार्ग पर अडिग रहने की क्षमता है। इसे आत्मा की स्थिरता और आंतरिक शक्ति का प्रतीक माना गया है।

गीता के अनुसार धैर्य का अर्थ है कि विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहना अर्थात  कठिन समय में हार न मानना और अपने कार्य के प्रति निष्ठावान रहना। यह धैर्य ही हैं जो हमें कठिन परिस्थितियों मे भी सावधानी के साथ इंतजार करने और उससे निकलने मे अपने प्रयासों के प्रति ईमानदार बनाती है। 

गीता के अनुसार मन और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना भी धैर्य ही है जो हमें खुद पर  नियंत्रण करना सिखाती है साथ ही हमें लोभ, लालच और गलत करने के प्रति सावधान करते हुए अ पने मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान करती है। वास्तव में यह धैर्य ही है जो हमें  इंद्रियों पर नियंत्रण रखना सिखाती है। 

भविष्य में अच्छे परिणाम की आशा रखना और अपने प्रयास को जारी रखना भी धैर्य है जो गीता के प्रमुख उपदेशों मे शामिल है। सच तो यह है कि अपने वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बनाए रखना भी धैर्य है जो गीता के अनुसार हमें सीख मिलती है।  

भगवद गीता के प्रमुख श्लोक जो धैर्य पर प्रकाश डालते हैं:

श्लोक: 2.14

"मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः।

आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत।।"

अर्थ: सुख-दुःख, ठंड-गर्मी आदि अनुभव जीवन में आते-जाते रहते हैं। ये अनित्य (अस्थाई) हैं। हे अर्जुन! इन्हें सहन करना सीखो।

तात्पर्य यह है  कि धैर्य का अर्थ केवल कठिनाइयों को सहने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समझने में है कि ये परिस्थितियां अस्थायी हैं।

श्लोक: 6.5

"उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।

आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।।"

अर्थ: मनुष्य को अपने आत्मा द्वारा स्वयं की सहायता करनी चाहिए और अपने को नीचे गिरने से बचाना चाहिए। आत्मा ही मनुष्य का मित्र है और आत्मा ही उसका शत्रु है।

धैर्य का अभ्यास तभी संभव है जब हम आत्मा के मित्र बनें और अपने भीतर की शक्ति का उपयोग करें।

सच्चाई तो यह है कि यह धैर्य ही है जो हमें जीवन मे सही निर्णय लेने में मदद करता है साथ हीं  धैर्य हमें कठिन समय सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।

धैर्य का महत्व जीवन मे और भी बढ़ जाता है जब हम विपरीत परिस्थितियों से दो-चार हो रहे होते हैं  और उस समय के संघर्षों का सामना धैर्य के बिना संभव नहीं।


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अस्वीकरण: कृपया ध्यान दें कि लेख में बताए गए सुझाव/सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं ताकि आपको इस मुद्दे के बारे में अपडेट रखा जा सके जो आम लोगों से अपेक्षित है और इन्हें पेशेवर सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए/पालन नहीं किया जाना चाहिए। हम अनुशंसा करते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि यदि आपके पास विषय से संबंधित कोई विशिष्ट प्रश्न हैं, तो हमेशा अपने पेशेवर सेवा प्रदाता से परामर्श करें।