बच्चों में अध्ययन में रुचि जगाने के लिए जरूरी है कि आप पहले जानने के जिज्ञासा का भाव विकसित करें. जिज्ञासा हीं वह चीज है जो स्मृति धारण में शामिल क्षेत्र, हिप्पोकैम्पस को सक्रिय करके मस्तिष्क को गहन सीखने के लिए तैयार करती है.
याद रखें. किताबें ज्ञान का सागर होती हैं लेकिन विडम्बना यह है कि आज मोबाइल फोन के कारण हम उससे कटते जा रहे हैं. लेकिन ज्ञान के उस सागर तक पहुँचने की पहली नाव होती है — जिज्ञासा। इसलिए यह जरूरी है कि हम बच्चों के अंदर जिज्ञासा और ललक पैदा करें.
अगर बच्चे के मन में जानने की ललक है, तो वह खुद-ब-खुद सीखने के रास्ते खोज लेता है। इसलिए जरूरी है कि हम बच्चों को सिर्फ किताबों का पाठ न पढ़ाएँ, बल्कि उनके अंदर "जानने की चाह" को जगाएँ।
यह वैज्ञानिक रिसर्च में कहंगया गया हैं कि जिज्ञासु बच्चे कुछ पढ़ते हैं तो उन्हें ज़्यादा याद रहता है. जिज्ञासा पढ़ाई को कर्तव्य नहीं, बल्कि खोज जैसा महसूस कराती है.
बच्चों में किताबों का प्रेम तभी जन्म लेता है जब उनके मन में “जिज्ञासा” का बीज बोया जाए। लेकिन इससे भी जरुरी है की कि किताबें पढ़ने से पहले अगर बच्चे में ‘जानने की भूख’ जगा दी जाए, तो वह खुद ज्ञान खोज लेता है।
हर माता-पिता और शिक्षक को चाहिए कि वे बच्चे को “उत्तर देने वाला” नहीं, बल्कि “सोचने वाला” बनाएं।
याद रखें, किताबें तभी सार्थक बनती हैं, जब बच्चे के भीतर सवाल करने की जिज्ञासा हो अन्यथा किताब की बाते बच्चे कभी आत्मसात नहीं कर पाएंगे.
बच्चों के लिए ज्ञान की जरुरत है क्योंकि उसके जीवन का बुनियाद हीं ज्ञान पर आधारित है. लेकिन इसके लिए यह जरुरी है कि बच्चे में जाने और जिज्ञासा की चाह जगाई जाये ।"

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