मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: सेल्फ डिसप्लिन से बढ़ाएं अपना कान्फिडन्स, जानें कैसे?

 


नजरिया जीने का: नकारात्मक विचारों को खुद से दूर रखने के लिए आपको अपने भीतर के प्रेरक और प्रेरक विचारों का पालन करना होगा। अनुशासित जीवनशैली और गलत विचारों और कार्यों से दूर रहने का इरादा आपके आत्मविश्वास को बेहतर बनाने का पैरामीटर है। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपको बेहतर समय प्रबंधन और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अनुशासित जीवनशैली का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे।

1. स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करें

अनुशासित जीवनशैली की नींव के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करना सबसे ज़रूरी है। याद रखें कि आपको अपने लक्ष्यों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक में वर्गीकृत करना होगा। अल्पकालिक लक्ष्यों के तहत, आपको दैनिक और साप्ताहिक लक्ष्यों से शुरुआत करनी चाहिए जो प्राप्त करने योग्य हों। वह दृष्टि और सपना जिसे आप अगले कुछ महीनों या वर्षों में हासिल करना चाहते हैं, उसे दीर्घकालिक लक्ष्य कहा जा सकता है।

2. दैनिक दिनचर्या बनाएँ

अपनी दैनिक दिनचर्या को न्यायपूर्ण और पारदर्शी तरीके से विभाजित करें ताकि आप अपने तरीके से उसका पालन कर सकें। आप अपनी दैनिक दिनचर्या को इस तरह से विभाजित कर सकते हैं-

सुबह की दिनचर्या: अपने दिन की शुरुआत ऐसी गतिविधियों से करें जो आपको ऊर्जा देती हैं। इसमें व्यायाम, ध्यान, स्वस्थ नाश्ता और अपने दिन की योजना बनाना शामिल हो सकता है।

कार्य/अध्ययन अनुसूची: काम, अध्ययन और ब्रेक के लिए विशिष्ट समय ब्लॉक आवंटित करें। अपने कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए प्लानर, कैलेंडर या ऐप जैसे टूल का उपयोग करें।

शाम की दिनचर्या: ऐसी गतिविधियों के साथ आराम करें जो आपको आराम दें, जैसे पढ़ना, हल्का व्यायाम या दिन के बारे में सोचना।

3. कार्यों को प्राथमिकता दें

हमेशा अपने कार्यों को समय पर और समय सीमा में पूरा करने की आवश्यकता और महत्व के आधार पर प्राथमिकता दें। अपने कार्यों को जरूरी/महत्वपूर्ण, जरूरी नहीं/महत्वपूर्ण, जरूरी/महत्वपूर्ण नहीं और जरूरी नहीं/महत्वपूर्ण नहीं में वर्गीकृत करें। हमेशा एक  नोट तैयार करें और "टू-डू लिस्ट" के रूप में चिह्नित करें जो आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

4. शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखें

नियमित रूप से व्यायाम करें: अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि को शामिल करें, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का लक्ष्य रखें।

संतुलित भोजन करें: सुनिश्चित करें कि आपके आहार में आपकी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए विभिन्न पोषक तत्व शामिल हों।

अच्छी नींद लें: समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हर रात 7-9 घंटे की अच्छी नींद लेने का लक्ष्य रखें।

5. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और अपने आत्मविश्वास के स्तर को प्रोत्साहित करने और अपने दिमाग में नकारात्मक विचारों से बचने की रणनीति पर भी ध्यान दें। नकारात्मक व्यक्तियों और ऐसे लोगों से बचें जिनकी टिप्पणियाँ और सुझाव हमारे दिमाग में नकारात्मक विचारों के निर्माण के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। आप नीचे दिए गए कुछ सुझावों का पालन करके अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

ध्यान और माइंडफुलनेस: तनाव को कम करने और फोकस बढ़ाने के लिए रोजाना ध्यान या माइंडफुलनेस का अभ्यास करें। सकारात्मक मानसिकता बनाने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पुष्टि का उपयोग करें।  यदि आप अभिभूत महसूस कर रहे हैं, तो मित्रों, परिवार या पेशेवरों से संपर्क करने में संकोच न करें।

6. लगातार  सीखने की आवश्यकता 

चुनौतियों से निपटने और प्रतिकूल परिस्थिति का विश्लेषण करने की आपकी सारी शक्ति और क्षमता आपके आत्म-संदेह चिह्न से ठीक हो सकती है और यह आपके करियर और जीवन के लिए विनाशकारी होगा। याद रखें, प्रकृति ने हमें अपने जीवन में हर विषम परिस्थिति और परिस्थितियों से निपटने और उनका सामना करने की अपार शक्ति प्रदान की है। हमारे समग्र विकास में हमारे ज्ञान और पूर्णता को बढ़ाने के लिए हमारे जीवन में निरंतर सीखने की आवश्यकता है।

7. आत्म-अनुशासन का अभ्यास करें

प्रतिदिन दोहराए जाने वाले नियमित कार्य आपको अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करने का तरीका प्रदान करेंगे और निश्चित रूप से यह नकारात्मक विचारों को आपसे दूर रखेगा, किसी से भी अपनी तुलना करने से बचें क्योंकि प्रकृति ने आपको विशेष क्षमताओं के साथ और आपके लिए विशेष कार्यकाल के लिए बनाया है। उन आत्मविश्वास निर्माण अभ्यासों का पालन करें ताकि यह नकारात्मक मानसिकता को आपसे दूर रख सके। याद रखें कि यह केवल आप ही हैं जो आपके दिमाग में नकारात्मक विचारों को पैदा करने का तरीका प्रदान करते हैं जो आपके जीवन की सभी क्रियाओं और रणनीति को बाधित करते हैं। 

टालमटोल से बचें: कार्यों को टालने के बजाय तुरंत निपटाएँ। सीमाएँ निर्धारित करें: विकर्षणों को सीमित करें और उत्पादकता के लिए अनुकूल वातावरण बनाएँ। खुद को पुरस्कृत करें: लक्ष्य प्राप्त करने के लिए खुद को पुरस्कृत करें, जो सकारात्मक व्यवहार को मजबूत करता है।

 8. प्रगति की निगरानी करें : 

अपनी प्रगति को ट्रैक करने, अपनी उपलब्धियों पर विचार करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक जर्नल रखें। नियमित समीक्षा: समय-समय पर अपने लक्ष्यों और दिनचर्या की समीक्षा करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे आपकी आकांक्षाओं के अनुरूप हैं। 9. प्रेरित रहें

अपने जीवन में कुछ सीखने पर ध्यान केंद्रित करें और दूसरों से अपनी तुलना करने की आदत से बचें, यह आपके आत्मविश्वास के स्तर को कम करने में सबसे बड़ी बाधा है। एक बार जब आप अपने दृष्टिकोण, क्षमता और अन्य योग्यताओं की तुलना दूसरों से करना शुरू कर देते हैं, तो उसी समय आप दूसरों को कम आंकना शुरू कर देते हैं।

नजरिया जीने का: पतझड़ से सीखें, हर अंत में छिपी होती है नई शुरुआत, घबराएं नहीं


अक्सर हम पतझड़ के नाम  से हीं परेशान  हो जाते  हैं और  हमें। लगता  है कि बस  बहार  का मौसम ही जीवन है। 
जबकि  सच  यह है कि पतझड़  भी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जैसे कि बसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शिशिर ऋतुएं। 


पतझड़  का मौसम  तो  हमारे जीवन में आने  वाले बदलाव का संकेत  है। ठीक वैसे ही जैसे पतझड़ का  मौसम एक बदलाव की प्रक्रिया होती  है, जिसमें पुराने के स्थान पर नए की शुरुआत होती है।

पतझड़ से भी हमारे जीवन में सिखने के लिए काफी कुछ है, सच तो  जीवन का बहुमूल्य शिक्षा पतझड़ से हमें प्राप्त होता है जैसे  कि गिरना भी जीवन का हिस्सा है, पर फिर से खिलना हमारी ताकत है और हमें इसे अपने जीवन का आदर्श बनाना चाहिए ।

याद रखें  दोस्तों, हर गिरा हुआ पत्ता हमें अपने उम्मीदों की नई परिभाषा देते है और यह याद दिलाता है कि नया मौसम आने वाला है और हमें उसके आगमन के लिए अपनी बाहों को खोलकर तैयार  रहनी चाहिए।

वास्तव में  यह पतझड़ का मौसम  होता है हमें  समय के संदर्भ में कई सब सीखा जाता है।

सबसे पहला सीख जो हमें पतझड़ से सीखनी चाहिए वह हैवबदलाव की स्वीकृति: पतझड़ हमें सिखाता है कि बदलाव जीवन का एक आवश्यक हिस्सा है और उससे हमें डरना नहीं बल्कि स्वागत करना चाहिए।

यह हमारे वर्तमान परिस्थिति में परिवर्तन के साथ एक नई शुरुआत का भी संकेत है। पतझड़ के बाद बसंत आता है, जो नई शुरुआत का प्रतीक है।

यह हमारी सामान्य सोच है कि पतझड़ एक दुखद और बुरे दिनों का प्रतीक है। इस समय आपको धैर्य और साहस की जरूरत है जो कि प्रकृति  हमें सीखती है।ठीक उसी तरह जैसे अंधेरी रात के बाद सुबह नई रोशनी ले कर आती है.

जीवन पूरी तरह से अनिश्चितताओ से भरी हुई है और हम सदा अच्छे की उम्मीद हीं नहीं कर सकते। इस प्रकार से पतझड़ हमें जीवन की अनिश्चितता की याद दिलाता है।

जीवन का जो नियम है वह प्रकृति के अनुसार होती है हाँ हमें इसे समझने का हौसला और समझ  होनी चाहिए. याद रखें दोस्तो जीवन में हर  पतझड़ के बाद हरियाली लौटती है, बस थोड़ा धैर्य रखना होता है। जब जीवन बंजर लगे  और यह प्रतीत होने लगे कि अब जीवन कम कुछ खास नहीं रह ,गया है , तब याद रखें—यह बसंत से पहले का पतझड़ है।


नजरिया जीने का: भगवान राम के जीवन से सीखें कैसे सच्चे रिश्ते सुविधा नहीं, समर्पण से बनते हैं


हर रिश्ते की आधारशिला भरोसा है। जब आपको अपने साथी के निर्देशों पर भरोसा होता है और लगता है कि उनके इरादे उचित हैं, तो इससे शक्ति का संतुलन बनता है जो भागीदारों के बीच भावनात्मक संबंधों को लाभ पहुंचाता है। समर्पण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि भागीदार स्वेच्छा से एक दूसरे के लिए बलिदान करते हैं, जिससे उनकी एकता मजबूत होती है।

सच्चाई तो यही है कि समर्पण से ही सच्चे रिश्ते बनते हैं. समर्पण की भावना से रिश्तों में दरार नहीं पड़ती. समर्पण से रिश्ते मज़बूत होते हैं और भावनात्मक संबंध गहरा होते हैं. 

मर्यादा पुरुषोतम भगवान राम का जीवन हमें काफी कुछ सिखाता है क्योंकि उनके जीवन की प्रत्येक घटना जीवन मे  संबंधों और आत्मीयता के भरोसा की बुनियाद जैसी है। कहते हैं नया की विश्ववास प्रेम की पहली सीढ़ी होती है और भगवान राम ने विश्वास के बदौलत हीं सबका दिल जीता है। 

वो एक पुत्र का धर्म निभाते हुए अपने जिन्होंने पिता की बात मानी और एक आदर्श पुत्र के रूप मे जाने गए। इसके साथ हीं भगवान राम एक आदर्श पति की भूमिका मे पत्नी की मर्यादा रखी।एक तरफ वो एक मित्र के रूप मे अपने सहयोगियों को को पर्याप्त  सम्मान दिया और सेवक को भी दोस्ती का दर्जा देने मे जरा भी संकोच नहीं किया। 

रामायण के प्रसंग का यदि आप अवलोकन करेंगे तो पाएंगे कि राम के जीवन की सबसे पहली परीक्षा तब आई जब उन्हें अयोध्या का राजा घोषित किया जाना था। लेकिन सौतेली माँ कैकेयी ने उन्हें वनवास भेजने की माँग कर दी।

 एक तरफ था राजपाठ, आराम, सम्मान। दूसरी ओर था जंगल, कष्ट और अनिश्चितता, लेकिन उन्होंने अविलंब वनवास स्वीकार किया और राज पाट को त्यागकर बिना कोई शिकायत किए, मुस्कुराकर वनवास स्वीकार को निकाल पड़ते हैं तो लक्ष्मण और सीता भी उनके साथ चलने को तैयार हो जाते हैं।  एक राजा की पत्नी होकर भी सीता जंगल की कुटिया में रहकर हर कष्ट में राम के साथ रहीं। कहा जाता है कि लक्ष्मण ने 14 वर्षों तक नींद नहीं ली और हर पल भगवान राम और सीता की सेवा मे लगे रहे। 

क्या यह रिश्ते मे एक समर्पण का भाव नहीं है?

 हमारा रिश्ता मूल रूप से आपसी सम्मान पर आधारित है। हमारे संबंध में विश्वास भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्वस्थ रिश्तों में, आपसी सम्मान और विश्वास तब प्रदर्शित होता है जब निर्णय लेने में हम एक-दूसरे के निर्णय को मानते हैं और अपनी निर्णय को थोपते हैं बल्कि एक सामंजस्य बैठाने का प्रयत्न किया जाता है। 

कठिन समय से विचलित होना कायरों का काम है

नजरिया जीने का: जिससे सारा जहां है, उसी का नाम है नारी@ जानें क्या कहती हैं ये नामचीन हस्तियां




 1.

नहीं समझो अबला अब, वक्त की रफ्तार है वो,
नित-नई ऊंचाइयों को छूने का नाम है अब नारी।

2.
दयालुता और ममता की मूरत भी है पर,
वज्र जैसे कठोरता का नाम है अब नारी।

3.
घर और कार्यस्थल का दिल और आत्मा है , पर
आत्मविश्वास से लबरेज, उम्मीदों का नाम है अब नारी।

4.

खुद को कमजोर समझना हीं तो भूल है तुम्हारी,
जिससे सारा जहां है, उसी का तो नाम है नारी।

5.

सृजन की जननी, और शक्ति का प्रतीक तुम्ही हो,
मेहनत और संघर्ष की मूरत, श्रद्धा की हकदार है हर नारी।

सेल्फ डिसप्लिन से बढ़ाएं अपना कॉन्फिडेंस 

महिला: जानें क्या कहती हैं ये नामचीन हस्तियां

  • एक शिक्षित महिला, एक सशक्त समाज की नींव होती है। - मिशेल ओबामा
  • स्त्रियों के बिना, दुनिया अधूरी है। – महात्मा गांधी
  • एक महिला  वह होती है, जो पूरे दिल से दुनिया को रोशन करती है। 
  • –ओपरा विन्फ्रे
  • लड़कियाँ सिर्फ इतिहास नहीं पढ़तीं, वे इतिहास बनाती हैं। 
  • – एलेनोर रूजवेल्ट
  • जब तक तुम स्त्रियों का आदर करना नहीं सीखोगे, तब तक तुम्हारी उन्नति संभव नहीं।-स्वामी विवेकानंद
  • स्त्री पुरुष की साथी है, न कि उसकी दासी। दोनों के अधिकार समान हैं।-महात्मा गांधी
  • स्त्री केवल सौंदर्य की प्रतिमूर्ति नहीं, वह सृजन और शक्ति का स्रोत है।-रवींद्रनाथ टैगोर
  • नारी वह दीप है, जो घर ही नहीं, समाज को भी उजाला देती है। -सरोजिनी नायडू
  • “जब क स्त्री शिक्षित होती है, तो एक संपूर्ण पीढ़ी शिक्षित होती है। -डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

  • नारी में प्रेम की वह शक्ति होती है जो दर्द को भी दया में बदल देती है। -मदर टेरेसा
  • अगर स्त्रियां आगे नहीं बढ़ेंगी, तो समाज कभी आगे नहीं बढ़ेगा।
  • -सावित्रीबाई फुले
  • यदि तुम किसी समाज की वास्तविक स्थिति जानना चाहते हो, तो देखो कि वहां स्त्रियों की स्थिति क्या है। -पंडित जवाहरलाल नेहरू
  • “हर नारी के भीतर एक अद्भुत शक्ति छिपी होती है, उसे बस खुद पर विश्वास करना होता है।-ओपरा विनफ्रे


नजरिया जीने का: जानें कौन हैं कोमरम भीम जिनका चर्चा प्रधान मंत्री ने मन की बात में किया


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अक्टूबर 2025 को प्रसारित मन की बात के 127 वें संस्करण में महान विभूति कोमरम भीम का चर्चा किया। असम के रहने वाले महान विभूति कोमरम भीम की जयंती अभी 22 अक्टूबर को मनाई गई है। 

कोमरम भीम की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया की किस प्रकार से ऐसे कठिन समय में करीब बीस साल का एक नौजवान अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ था। उस दौर में जब निज़ाम के खिलाफ एक शब्द बोलना भी गुनाह था।

कोमाराम भीम भारत के एक गोंड जनजातीय नेता थे जिन्होने हैदराबाद की मुक्ति के लिये वहां के निजाम के साथ संघर्ष किया था. मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चर्चा करना अपनेआप में इस बात का सुबूत है कि उनका जीवन मोटिवेशनल रहा होगा. 

 उस नौजवान ने सिद्दीकी नाम के निज़ाम के एक अधिकारी को खुली चुनौती दे दी थी।  कोमाराम भीम ने  निजाम के आसफ़ जाही राजवंश के विरुद्ध संघर्ष किया और निजाम के न्यायालयी आदेशों, कानूनों और उसकी प्रभुसत्ता को सीधे चुनौती दी.  

कहा जाता है कि निज़ाम ने सिद्दीकी को किसानों की फसलें जब्त करने के लिए भेजा था। लेकिन अत्याचार के खिलाफ इस संघर्ष में उस नौजवान ने सिद्दीकी को मौत के घाट उतार दिया। वो गिरफ़्तारी से बच निकलने में भी कामयाब रहा। निज़ाम की अत्याचारी पुलिस से बचते हुए वो नौजवान वहाँ से सैकड़ों किलोमीटर दूर असम जा पहुंचा। 

प्रधान मंत्री मोदी ने चर्चा करते हुए कहा कि उस  महान विभूति कोमरम भीम की आयु बहुत लंबी नहीं रही, वो महज 40 वर्ष ही जीवित रहे लेकिन अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी। 

ऐसा कहा जाता है कि  कोमरम भीम अल्लूरी सीतारामाराजू से प्रेरित थे और  उन्होंने  निज़ाम सरकार के जंगली आधिकारिक अन्याय के खिलाफ विद्रोह में महत्पूर्ण भूमिका निभाई. अपने आंदोलन और लोगों के प्रति उनके भरोसे ने कोमाराम भीम को विद्रोह की आग से भड़कते हुए लोगों के बिच एक वास्तविक देवता बन गए।

उन्होंने निज़ाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी। वे अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे। निज़ाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे। 1940 में निज़ाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। प्रधान मंत्री ने युवाओं से आग्रह किया कि  वे उनके बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करें उनके जीवन से प्रेरणा लें. 

सोमवार, 27 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: थॉमस अल्वा एडिसन 'कमज़ोर छात्र' से महान वैज्ञानिक तक सफर


दुनिया के  महान वैज्ञानिकों में से एक थॉमस अल्वा एडिसन को कौन नहीं जानता है. जिज्ञासा और प्रयोगों ने ही उन्हें बल्ब, ग्रामोफोन और मूवी कैमरा जैसे आविष्कार करने की प्रेरणा दी और दुनिया में नाम कमाया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि के शिक्षक ने उनकी माँ से कहा था  कि “आपका बेटा बहुत धीमा है, कुछ नहीं सीख सकता।” और इसके बाद उनकी मां ने बेटे को स्कूल से निकाल लिया और खुद पढ़ाया। 

याद रखें, अगर कोई आपको ‘कमज़ोर’ कहे और आपको हतोत्साहित करता है तो याद रखें यह उसके दृष्टिकोण है जो आपके प्रति है. आपके लिए वह सच्चाई तो है हैं नहीं क्योंकि  याद रखें कि शायद वो आपकी क्षमता नहीं पहचान पा रहा है और अपना विचार दे रहा है.

कहने का तात्पर्य है है कि  दूसरों के परसेप्शन को कभी भी खुद  पर इतना नहीं हावी होने दें कि हम खुद  वजूद को हीं भूल जाएँ. पतझड़ से सीखने के लिए यह सबसे अच्छी सीख जाओ कि हर अंत में छिपी होती है नई शुरुआत और एडिसन के तरह उन्हें स्कूल मास्टर द्वारा बेवकूफ या कमजोर मस्तिष्क का बता देना उनके सफर का अंत नहीं था. 

एडिसन ने आगे चलकर कई महत्वपूर्ण चीजों की खोज की, जिनमें बिजली का व्यावहारिक तापदीप्त (incandescent) प्रकाश बल्ब, फोनोग्राफ और मोशन पिक्चर कैमरा शामिल हैं। 

उन्होंने इन आविष्कारों के साथ ही बिजली उत्पादन और वितरण प्रणालियों का भी विकास किया, जिससे शहरी विद्युतीकरण का रास्ता प्रशस्त हुआ। 

फोनोग्राफ  का अविष्कार क्रन्तिकारी कदम था और  यह पहली मशीन थी जिसने  ध्वनि को रिकॉर्ड और पुन: प्रस्तुत कर देने का रास्ता दिए और आगे चलकर इस अविष्कार ने मनोरंजन और संचार के तरीकों में क्रांति ला दी। 

रविवार, 19 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का @पेरेंटिंग टिप्स - माता-पिता-बच्चे के रिश्ते को ऐसे करें मजबूत



आज कि जीवन स्टाइल मे जहां सबके पास काफी हेक्टिक लाइफ सेडयूल है और घर से ऑफिस तक का स्ट्रेस सभी पेरेंट्स पर हावी हो चुका है। सवाल है कि  ऐसे लाइफ स्टाइल मे उन बच्चों के लिए हम पेरेंट्स कितना न्याय  कर पाते हैं जिनके लिए हीं हम ये तमाम स्ट्रेस लेते हैं। मत-पिता और बच्चों के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए प्यार, विश्वास और समझ की ज़रूरत होती है। यहाँ कुछ पेरेंटिंग टिप्स दिए गए हैं जो आपके रिश्ते को और बेहतर बना सकते हैं:


बच्चों के साथ समय बिताएं

तमाम व्यस्तताओं के वावजूद आप अपने बच्चों के साथ दिन का कुछ समय सिर्फ और सिर्फ उनके लिए रखें। बच्चों के साथ जब आप हों तब सिर्फ उनकी सुने  और अपनी परेशानियों को खुद से दूर रखे क्योंकि आपकी परेशानी आप से अधिक  आपके बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती है। याद रखें, हमारी परेशानियों कि चर्चा के लिए हमारे पार्टनर हैं, बच्चे नहीं। 

बच्चों से खुलकर बात करें

बच्चों के साथ अगर आप हैं तो  सब से पहले उन्हे यह विश्वास दिलाएं कि आप सिर्फ उनके लिए उनके साथ हैं और उनकी बातों को ध्यान से सुनें। उनकी बातों को सुनने के साथ ही उनके परेशानियों को समझे कुछ ऐसे कि  वो आपसे कुछ भी छिपायें नहीं। इसके साथ ही आप उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। जब बच्चा किसी समस्या से गुज़र रहा हो, तो उसे भावनात्मक सहारा दें साथ ही उन्हें बताएं कि आप हर परिस्थिति में उनके साथ हैं।

प्रशंसा और प्रोत्साहन दें

प्रशंसा और प्रोत्साहन कि भूख भला किसे नहीं होती है। वो कहते  हैं ना  कि "प्रेम से जानवरों को भी वश मे किया जा सकता है।" बच्चों को प्रेम प्रदर्शित करें और उनकी प्रसंशा करें। बच्चों को उनकी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर भी उनकी सराहना करें और उन्हे प्रोत्साहित करें ताकि उन्हे लगे कि उसने कुछ अच्छा किया है। 

घर में अनुशासन के लिए नियम बनाएं 

अनुशासन कि महत्व को उन्हे समझने और घर मे भी उचित माहौल रखें। खुद भी अनुसाशन का पालन करें और उन्हे यह अहसास दिलाएं कि अनुसाशन का महत्व जीवन मे कितना महत्वपूर्ण है। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता की आदतें और व्यवहार अपनाते हैं इसलिए, वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप उनसे अपेक्षा करते हैं।


नजरिया जीने का: तत्काल लाभ देने वाले मुफ़्त की चीजों को अवॉइड करें, दूरगामी कुप्रभाव को पहचानें


 नजरिया जीने का: अगर आपको बिना किसी प्रयास या किसी मशक्कत के चीजों का मिलना किसी भी समाज या किसी भी संस्थान से आरंभ हो जाए, तो समझ लीजिए की आप किसी भयंकर गुलामी की ओर बढ़ रहे हैं। 

विश्वास नहीं हो तो इतिहास उठा कर देख लीजिए, दुनिया के उन देशों ने जिन्हे बिना किसी प्रयास के खाने की आदत लग गई उन्हे उन शक्तिशाली देशों ने अपना गुलाम बना कर वहाँ के लोगों की पीढ़ियों पर शासन किया है। 


यह बिल्कुल मानी हुई बात है कि मुफ्त की चीजें देखने में अच्छी लगती हैं, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि ये  चीजें हमें अक्सर महँगी पड़ती हैं। 
आप  इसके लिए मुफ्त में पाए जाने वाले सुविधाओं और मिले रेवरियों का अध्ययन कर यह देख लें। 
 अध्ययन पर अगर आप गौर करेंगे तो मुफ्त के मिलने वाले इन सेवाओं के बदले में आपको भविष्य में ज्यादा पे करने पड़ते हैं यह तथ्य आपको सोचने पर मजबूर करता है कि इन चीजों को लेने से पहले उनकी मूल्यांकन करना चाहिए.

 दुनियाँ के दांव पेंच से रखना न वास्ता 
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता 
 भटका न दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के
-प्रदीप 

मुफ्त की चीजें अक्सर ऐसी होती हैं जिनका कोई निर्धारित मूल्य नहीं होता है या जिन्हें किसी अन्य उत्पाद के साथ सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है, जैसे सरकारी योजनाएं या नमक के मुफ्त बाटे। लेकिन यह भी सच है कि इन चीजों को सब्सिडी के रूप में प्रदान करने के लिए सामान्यतः किसी अन्य स्रोत से धनराशि उठाई जाती है, जिसे फिर सामरिक या आर्थिक रूप से भुगतान करना पड़ता है.

यह ध्यान में रखें कि यदि कोई चीज़ मुफ्त है, तो उसे अपने उत्पादन, प्रदान और वितरण के लिए कोई मूल्यांकन या मानक नहीं होता है, जिससे उसका गुणवत्ता और मान्यता बाढ़ सके. इसलिए, मुफ्त की चीजों का उपयोग करते समय हमें अपने निर्णयों को सावधानीपूर्वक चुनना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें कोई अनुमति प्राप्त है और हम इसकी वास्तविक मूल्य को समझते हैं.

व्यापार की दृष्टि से भी, यदि कोई व्यक्ति निरंतर मुफ्त चीजें प्राप्त करने का आदान-प्रदान करता है, तो वह उस व्यक्ति के लिए लाभदायक नहीं होगा क्योंकि व्यापारिक मानकों में इन चीजों का मूल्य होता है और उनका उपयोग करने के लिए समय, ऊर्जा और संसाधन की आवश्यकता होती है. इसलिए, सामान्यतः, मुफ्त चीजें संभावित हैं कि उन्हें बहिष्कार करने के बजाय, उसकी वास्तविक मूल्य का मान्यांकन करना और उसे उचित मानदंडों के अनुसार खरीदना और उपयोग करना उचित होगा.

मुसीबतों को देख कर क्यों डरता है,

तू लड़ने से क्यों पीछे हटता है।

किसने तुमको रोका है,

तुम्ही ने तुम को रोका है।

भर साहस और दम, बढ़ा कदम,

अब इससे अच्छा कोई न मौका है।

-नरेंद्र वर्मा

संक्षेप में कहें तो, मुफ्त की चीजों को बहिष्कार करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि उनकी मूल्यांकन करने और संभावित नुकसानों को समझने की आवश्यकता होती है और उन्हें उचित रूप से उपयोग करने के फायदों और नुकसानों को विचार में रखना चाहिए।


नजरिया जीने का: प्रकृति और जीवनदायिनी शक्ति के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अद्वितीय माध्यम भी है छठ पूजा


छठ पूजा न केवल पर्व धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों मे समान रूप से मनाने की भावना को दर्शाता है। छठ पूजा के दौरान सभी लोग जाति और धर्म से परे एकत्र होकर पूजा करते हैं, जिससे समाज में एकता और सामूहिकता की भावना प्रबल होती है। छठ पूजा को सिर्फ धार्मिक परंपराओं और संस्कृति से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि अगर अगर आप इस आस्था के महा पर्व को गंभीरता से अवलोकन करेंगे तो यह सिर्फ धार्मिक विषय से नहीं बल्कि यह प्रकृति और जीवनदायिनी शक्ति के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अद्वितीय माध्यम है।

छठ पूजा 05 नवंबर, 2024 से मनाई जाएगी। छठ पूजा 2024 भगवान सूर्य (सूर्य देव) और छठी मैया को समर्पित एक प्रिय हिंदू त्योहार है। यह अत्यधिक भक्ति को समर्पित त्योहारों में से एक है जिसे उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चार दिवसीय त्योहार दिवाली के ठीक छह दिन बाद कार्तिक के चंद्र महीने के छठे दिन से शुरू होता है। छठ पूजा सादगी, पवित्रता और अनुशासन के मूल्यों को बनाए रखने के साथ संपन्न होने का प्रतीक है। आम तौर पर पारंपरिक कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य को शाम का अर्घ्य दिया जाता है। शाम के अर्घ्य के दिन, भक्त भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और नदी या तालाबों के किनारे आस-पास के क्षेत्र में जाते हैं जहाँ भक्त और उनके परिवार डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए एकत्र होते हैं।

सच्चे रिश्ते सुविधा से नहीं, समर्पण से बनते हैं

भक्त अपने परिवार के सदस्यों और पूरे मोहल्ले और लोगों के साथ नदी/तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और यह उत्सव की एक अनूठी भावना पैदा करता है जिसे एक कार्निवल कहा जा सकता है। चूंकि छठ पूजा की विजय उच्च स्तर पर है और वास्तव में छठ पूजा का न केवल आध्यात्मिक या धार्मिक पहलुओं के लिए अपना बहुत बड़ा महत्व है, बल्कि छठ पूजा का अपना महत्व है जिसमें सूर्य और छठी माता (देवी छठी) की पूजा भी की जाती है।

जीवन में सफल होना चाहते हैं तो प्रसन्न रहना सीखिए

संध्या अर्घ तीसरा दिन है और चौथे दिन भक्त सूर्योदय और पारण करते हैं। आप छठ पूजा की सभी विधि को महत्वपूर्ण तिथियों और छठ पूजा कैसे करें, इस लेख में विस्तार से देख सकते हैं।

छठ पूजा  कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है, जिसे आमतौर पर दीपावली के ठीक 6 दिन बाद मनाया जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, छठ पूजा का त्योहार नहाय खाय से शुरू होता है, जो इस भव्य उत्सव का पहला चरण है। छठ पूजा के सभी प्रमुख चार चरण हैं- नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ और पारण।

छठ पूजा का पहला दिन: नहाय-खाय

छठ पूजा का दूसरा दिन: लोहंडा और खरना

छठ पूजा का तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

छठ पूजा का चौथा दिन: उषा अर्घ और पारण

हालाँकि छठ पूजा की शुरुआत मूल रूप से बिहार से हुई थी, लेकिन आजकल छठ पूजा भारत के लगभग सभी हिस्सों में मनाई जाती है। बिहार ही नहीं, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल देश को छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र कहा जा सकता है।

जिससे सारा जहां है, उसी का नाम है नारी

छठ पूजा का चार दिवसीय त्यौहार भी सर्दियों के मौसम में मनाए जाने वाले छठ पूजा की तरह ही महत्वपूर्ण है। नहाय खाय के ठीक बाद, दूसरे दिन यानी खरना से उत्सव शुरू होता है।

नजरिया जीने का: धोखा देने वाले लोग चेहरे से नहीं, वक़्त से पहचाने जाते हैं


हर मुस्कुराता चेहरा सच्चा नहीं होता, इसलिए नज़रें ही नहीं, दिल से पहचानना सीखो यह बात जीवन का यथार्थ
है, लेकिन विडम्बना यह है कि हम सभी वास्तविकता को भुलाकर और खुशफहमी में जीने का अभ्यस्त हो चुके है. जीवन में हम सभी को कभी न कभी ऐसे लोगों से सामना करना पड़ता है जो सामने से हमारे हितैषी दिखते हैं और उन्हें देखकर यह प्रतीत होता है कि संसार में इससे बड़ा कोई हमारा अपना नहीं हो सकता, लेकिन विडम्बना यह है कि उनको पहचानने में इतना देर हो चुका होता है कि हमारे पास हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं बचता.




याद रखें, ऐसे लोग सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए हमारे करीब आते हैं और जब ज़रूरत पड़ती है तो सबसे पहले मुंह मोड़ लेते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम इन्हें पहचानें और इनसे बचना सीखें। याद रखें, हर मुस्कुराता चेहरा सच्चा नहीं होता, इसलिए नज़रें ही नहीं, दिल से पहचानना सीखो।

जीवन में हमेशा मीठी ज़ुबान वाले से सावधान रहो, क्योंकि सबसे ज़हरीली बातें अक्सर मीठे लफ़्ज़ों में छुपी होती हैं और यह हमारी भोलापन और उदारता है जो हमें रिश्तों में संकीर्ण नहीं होने देती.

हर वो रिश्ता खोखला है जिसमें भरोसा नहीं, और जहाँ भरोसा टूटा, वहाँ बस धोखा ही बचता है और जितनी जल्दी आप इसे समझ लेंगे, आप का जीवन सुखमय हो जाएगा. धोखेबाज़ लोगों की जीत थोड़ी देर की होती है और इसके बदले में वो अपना विश्वसनीयता हीं खो देते हैं,नलेकिन ईमानदार इंसान की पहचान हमेशा रहती है।"

नजरिया जीने का: क्या इतना भी आसान होता है एक पुरुष का होना ?



आज या कल, कभी भी समाज या परिवार में महिलाओं के योगदान के  आगे पुरुषों के परिश्रम और हो,  उनके योगदानों को उपेक्षा हीं किया जाता रहा है. निश्चित हीं परिवार में महिला चाहे वह  मां के रूप में हों, पत्नी के रूप में हों, बहन के रूप में  हो या बेटी  के रूप हो, हमेशा से नारी शक्ति को सर्वोपरि माना गया है जिसमें किसी  को संदेह होनी भी  चाहिए. लेकिन क्या पुरुष का होना खासतौर पर परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को निभाने में उसके योगदानों को उतना हीं सम्मान मिलती है, जितना का वह हक़दार होता है. एक बार देखिये एक पुरुष  चाहे वह  पिता हो, बेटा हो, भाई हो या पति हो, एक पुरुष होकर जीना क्या इतना  आसान होता है. 


आर्थिक ज़िम्मेदारी 

 परिवार के आर्थिक जरूरतों की जिम्मेदारी कोई मामूली कश्मकश नहीं होती है क्योंकि सुबह  के सूर्योदय और सूर्यास्त को भूलना पड़ता है. पता भी नहीं चलता की कब सुबह हुई और कब शाम हुई क्योंकि अपने आर्थिक जिम्मेदारियों और पारिवारिक के प्रति अपनी कर्तव्यों को पहाड़ कुछ इस तरह मुँह बाए खड़ा होता है. इन जरूरतों को पूरा करने के चक्कर में खुद के वजूद को भूलना पड़ता है. 

करियर और परिवार का संतुलन

आज के इस कठिन दौर में जहाँ नौकरी को बचाना भी जरुरी है, अपने लिए नया ठिकाना भी तलाशना पड़ता है क्योंकि परेशानियां हर जगह होती है नौकरी की चुनौतियों के बीच घर और परिवार के बीच सामंजस्य बैठना आज के दौर में आसान नहीं है.नौकरी की कश्मकश में  और पारिवारिक की अपेक्षाओं के बीच बच्चों की होठों पर आये मुस्कराहट को बनाएं रखना भी जरुरी है क्योंकि आखिर जीवन का मतलब भी तो यही है. 

सपनों की कुर्बानी 

 परिवार की खुशियों और ज़रूरतों की पहाड़ के आगे भला  पुरुष या पिता को अपनी जरूरतें पूरा करने की तो बात छोड़िये, उनके बारे में सोचने की फुरसत भी शायद हीं मिलती होगी. जाहिर है कि परिवार की खुशियों को पूरा करने और की बोझ  तले अपने व्यक्तिगत सपनों और इच्छाओं का त्याग करना एक मज़बूरी है जिसे हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए. 

भावनाओं को दबाना 

आपकी जरा सी चेहरे पर शिकन आपके परिवार और खास तौर पर आपके बच्चो के चेहरे की हंसीं छीन सकती है. आप किसी भी दुख या परेशानी में भी हों, आपको मज़बूत बने रहना जरुरी हैं क्योंकि आपकी थोड़ी से कमजोरी परिवार के खुशियों को कम सकती है. 



स्वास्थ्य की अनदेखी 

 काम और जिम्मेदारियों में व्यस्त होकर और आप अपनी सेहत के प्रति लापहवाह होना हमेशा से मज़बूरी रही है. पिता जहाँ तक हो सके अपनी स्वस्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को पहले भुल जाना बेहतर समझता है  ऐसा नहीं है की घर से निकलने के बाद उसे बाहर सबकुछ उसके अनुकूल हीं मिलती है या सरदर्द या फिजिकल परेशानी नहीं होती लेकिन उसे शेयर करने का समय भी नहीं होता और दूसरी बात यह है कि क्योंकि उसे उसकी थोड़ी से परेशानी पुरे परिवार को अस्वस्थ कर सकती है जो खुद के सेहत के दर्द से ज्यादा दर्द देगा इसके लिए 


शनिवार, 18 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: स्वस्थ जीवन जीने का आधार- संतुलन, अनुशासन और सकारात्मक सोच


जो अपने शरीर का ख्याल रखता है, वही सच में अपने जीवन का सम्मान करता है और आपके पास स्वस्थ जीवन है फिर तो चाहे वह परिवार  हो,समाज हो देश हो या दुनिया, आप अपनी उपस्थिति और पहचान  बना सकते हैं. अगर  आप स्वस्थ हैं तो फिर आप  अपने परिवार के लिये भी सहायक उम्मीद की किरण है, लेकिन अगर  अस्वस्थ हैं तो फिर परिवार को हीं आपके सेवा  लगा रहना होगा. 

कहा जाता है – “स्वास्थ्य ही धन है”, क्योंकि यदि शरीर स्वस्थ नहीं है, तो जीवन की सारी खुशियाँ फीकी लगने लगती हैं। असली सुख, शांति और सफलता का आधार एक स्वस्थ शरीर और मन है। चाहे हमारे पास कितना भी पैसा, नाम या शोहरत हो, यदि हम बीमार हैं तो इन सबका कोई अर्थ नहीं रह जाता।

 हम बचपन के इसे पढ़ते थे कर इसके सहारे हीं बड़े हुए है कि- "धन खो जाने पर कुछ नहीं खोता, समय खो जाने पर थोड़ा खोता है, पर स्वास्थ्य खो जाने पर सब कुछ खो जाता है।"

कोरोना के बाद  जिस प्रकार से लोगों के जीवन का महत्व पता चला है  उससे साफ़ तौर पर यह मान लिया जाना चाहिए कि स्वास्थ्य के बदौलत हीं आपका सर्वाइवल सुनिश्चित है. 

स्वस्थ रहने के लिए हमें संतुलित आहार लेना चाहिए, नियमित व्यायाम करना चाहिए और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। प्रकृति के साथ समय बिताना, योग और ध्यान करना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। 

आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग तनाव और असंतुलित दिनचर्या के कारण बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि हम अपने शरीर का ख्याल रखें। आज हमें इस चीज को समझने की जरुरत है कि पैसे से दवा खरीदी जा सकती है, पर स्वास्थ्य नहीं और दवा के नाम पर जिस संताप और मानसिक  शारीरिक प्रताड़ना से आप गुजरते हैं, उससे अच्छा है कि हम इसे जीवन का मन्त्र बनाकर चलें कि   “स्वस्थ रहना ही सबसे बड़ी सफलता है।”

स्वस्थ व्यक्ति न केवल खुद के लिए, बल्कि समाज और परिवार के लिए भी उपयोगी होता है। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि असली दौलत हमारे बैंक अकाउंट में नहीं, बल्कि हमारे अच्छे स्वास्थ्य में छिपी है। इसके साथ ही यह भी जीवन का अल्टीमेट सच्चाई है कि “जो अपने शरीर का ख्याल रखता है, वही सच में अपने जीवन का सम्मान करता है।”

शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025

करियर टिप्स @नजरिया जीने का: अपनी ख़ामोशी को आवाज़ दें, प्रयास से सफलता का शोर करें


चुप रहकर सपने देखना आसान है, उन्हें पूरा करना का हिम्मत और साहस करना हीं असली पुरुषार्थ की पहचान है.  जीवन एक संघर्ष है और इसके रास्ते में कई सारे ऐसे पड़ाव और  पल आते हैं जब हम अपने मन की बातें, अपने सपनों की गूंज, और अपनी क्षमता को चुपचाप दबा देते हैं। हालाँकि यह हमारे व्यक्तित्व के साथ अन्याय की तरह है क्योंकि अगर हम चुप रहेंगे तो हमारे अंदर की हिम्मत और साहस की पहचान भला कैसे हो पायेगी.  

सच यह है कि चुप रहने से दुनिया हमें नहीं पहचानेगी। अपने अस्तित्व को पहचान दिलाने के लिए, अपनी आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाने के लिए हमें अपनी और से पूर्ण प्रयास करने होंगे और इसके लिए  हमें खुद के वजूद को भी मिटाने से नहीं हिचकनी चाहिए. 

अगर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते में खामोश है तो इस ख़ामोशी का मतलब हार नहीं है बल्कि यह ख़ामोशी कभी-कभी गहरी सोच और तैयारी का प्रतीक होती है। 



मनमुटाव को दूर कर फिर से संवाद शुरू करना सीखे 


लेकिन ध्यान रखें, अगर यह ख़ामोशी हमेशा बनी रहे, तो यह हमें दुनिया से पीछे कर देती है और फिर हम अपने सपने से पीछे हो जाते हैं. इसके लिए जरुरी है कि समय रहते सही समय पर अपनी सोच को शब्द और कर्म में बदलना ज़रूरी है।

याद रखें, जब आपकी मेहनत बोलती है, तो दुनिया चुप होकर सुनती है क्योंकि तब आपके प्रयास नहीं बल्कि उनका परिणाम दुनिया के सामने होता है. मुंशी प्रेमचंद के उस कथन को हमेशा याद रखें -" सफलता में दुर्गुणों को छुपा देने की अद्भुत क्षमता होती है. "

 सपनों और हकीकत के बीच की दूरी है एक्शन

याद रखें आपकी प्रयास की ताकत हीं  आपकी असली आवाज है  असली आवाज़ है क्योंकि लोग आपकी बातों से ज़्यादा आपके काम को सुनते हैं। विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के उस कथन को हमें हमेशा याद रखनी चाहिए जब उनहोंने मिडिया द्वारा उनके फॉर्म को लेकर टिपण्णी और नकारात्मक आभामंडल बनाई गई थी. तब उन्होंने कहाँ था कि -"हमारा बल्ला बोलेगा।"

कठिन समय से विचलित होना कायरों का काम है

करियर टिप्स @नजरिया जीने का: सपनों और हकीकत के बीच की दूरी है एक्शन, इसे साकार करें

नजरिया जीने का: यह सही है कि सफलता देखने के लिए पहले हमें उसका सपना देखना जरूरी है क्योंकि बिना उसके आप अपना लक्ष्य नहीं बना सकते। लेकिन यह भी सच है कि सपने देखना आसान है, लेकिन उन्हें हकीकत में बदलने के लिए हमें व्यापक स्ट्रैटिजी और उनके इम्प्लिमेन्टेशन के साथ ठोस एक्शन भी जरूरी है। बहुत से लोग बड़े सपने देखते हैं, लेकिन वही लोग सफल होते हैं जो उन सपनों को साकार करने के लिए लगातार, सही दिशा में मेहनत करते हैं। याद रखें दोस्तों, सिर्फ सोचने से कुछ नहीं बदलता, क्योंकि उसे सच मे बदलने के लिए हमें पहला कदम तो उठाना हीं होगा। लक्ष्य को पाने के लिए आप पहला कदम उठाएं, बाकी रास्ता खुद बनता जाएगा जो कि आपके सपने को हकीकत मे बदलने का मार्ग प्रशस्त करेगा। 

सपने आपके जीवन के लिए आपकी उम्मीदों, इच्छाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और वास्तविकता आपके जीवन की वर्तमान स्थिति है जो आपकी वर्तमान उपलब्धियों को दर्शाती है। लेकिन सपने देखना ही उसे सच करने के लिए काफी नहीं है। इसे हकीकत में बदलने के लिए, यह एक्शन है जो उपाय प्रदान करता है और सपनों और हकीकत के बीच एक पुल बनाता है। यह वह प्रयास है जो आप अपने सपने को सिर्फ़ एक विचार से मूर्त रूप देने के लिए करते हैं।

कार्रवाई करना वह पुल है जो हमारे सपनों को हकीकत से जोड़ता है क्योंकि आपके सपनों और हकीकत के बीच की दूरी को केवल प्रयासों और रणनीति के साथ ही भरा जा सकता है। बिना कार्रवाई के, हमारे सपने सिर्फ़ इच्छाएँ ही रह जाते हैं। यह हमारे प्रयासों और दृढ़ संकल्प के माध्यम से है कि हम अपनी आकांक्षाओं को जीवन में लाते हैं। तो, आइए अपने सपनों को हकीकत में बदलने की दिशा में वे कदम उठाएँ, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न हों।

सिर्फ टैलेंट या स्किल नहीं, खुद के अंदर का जुनून है जरूरी

याद रखें, अगर आपका सपना अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बनना है, तो सिर्फ़ इसके बारे में सपने देखने से आप वहाँ नहीं पहुँच पाएँगे। आपको संबंधित क्षेत्र में लगातार कदम उठाने की जरूरत है, अपने कौशल में सुधार करना, फीडबैक मांगना, अपना काम जमा करना, इत्यादि। आपके द्वारा की जाने वाली हर कार्रवाई आपको अपने सपने को साकार करने के करीब ले जाती है। सरल शब्दों में, यदि आप कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। चाहे वह लक्ष्य निर्धारित करना हो, योजना बनाना हो, कौशल हासिल करना हो या प्रयास करना हो, कार्रवाई ही आपके सपनों को हकीकत में बदल देती है।

इस अंतर को पाटने के लिए आप कुछ चीजें कर सकते हैं:

लक्ष्य निर्धारित करें: अपने सपनों को छोटे, प्राप्त करने योग्य चरणों में विभाजित करें। इससे वे कम भारी लगेंगे और आपको अपनी प्रगति को ट्रैक करने में मदद मिलेगी।

कार्रवाई करें: "सही" क्षण की प्रतीक्षा न करें, बस शुरू करें! आगे बढ़ने के लिए छोटे कदम भी स्थिर रहने से बेहतर हैं।

दृढ़ रहें: रास्ते में रुकावटें आएंगी। उन्हें आपको हतोत्साहित न करने दें। बस आगे बढ़ते रहें।

सौंदर्य और कुरुपता के धोखे से निकलना सीखे 

 आप अपने जीवन में खुद को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग दर्शन या प्रेरणा उद्धरणों का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन अंतिम जीवन की एक पंक्ति की परिभाषा यह है कि "सपनों और वास्तविकता के बीच की दूरी को कार्रवाई के रूप में जाना जाता है।"

"यह कहना मुश्किल है कि क्या असंभव है, क्योंकि कल का सपना आज की आशा और कल की वास्तविकता है।" - रॉबर्ट एच. गोडार्ड

यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यह हमारा दृष्टिकोण है जो हमारे सामने आने वाली समस्याओं की मात्रा और आकार को तय करता है। हमारे जीवन में किसी समस्या और कठिनाई का सामना करना जीवन का एक हिस्सा है और आप इससे बच नहीं सकते। हालाँकि, आप अपने जीवन में असंभव शब्द को परिभाषित करते समय एक नया दृष्टिकोण अपना सकते हैं।

हम सभी बचपन से ही जीवन के इस तथ्य से परिचित हैं कि 'कार्य के बिना विचार गर्भपात है' और जब हमारे जीवन में कुछ सबक लागू होने चाहिए, तो हम भ्रम की स्थिति में होते हैं।

प्रकृति कहती थी कि सपना आपके दिमाग में इसलिए आया क्योंकि यह आपकी पहुँच में था और आपके पास इसे वास्तविकता में बदलने की शक्ति है।

लेकिन आश्चर्यजनक रूप से हमें अपनी असीम संभावनाओं पर विश्वास नहीं है और यह हमारी नकारात्मक मानसिकता है जो हमें लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी रणनीतियों को क्रियान्वित करने हेतु कार्रवाई करने से विचलित करती है।


सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: जीवन मे सफलता जरूरी है, पर क्या हर कीमत पर?



सच बेहद कड़वा होता है और इससे शायद हीं कोई इंकार करे, मगर हकीकत यह भी है कि सच्चाई और ईमानदारी को हीं हमारे बाद लोग याद करते हैं और उसी से जीवन की असली पहचान होती है। झूठ और फरेब की दुनिया से कमाए गए धन कितने दिन रहते हैं भला। और सबसे बड़ी विडंबना भी हमारी यही है कि हम सभी इस सच्चाई से परिचित हैं, फिर अपनी व्यवहार और अंतरात्मा को समझा पाने मे विफल है। जैसे कि डॉक्टर एस राधाकृष्णन ने कहा था-"The great tragedy for we Indian is that we know the right but do the wrong."

बेईमानी से भली है सर उठाकर जीने की  कला 

यह ठीक है कि जीवन मे सच्चाई का रास्ता दर्द और काँटों भरा  होता है और उसपर चलना मुश्किल होता है, लेकिन क्या यह इतना भी मुश्किल होता है जिसपर हम ईमानदारी और सम्मान से चल नहीं सकता। जीवन मे हर मुस्कान के पीछे एक दर्द छुपा होता है, लेकिन तात्कालिक खुशी के लिए क्या सच्चाई और ईमानदारी से विमुख हो कर बेईमानी और अनैतिकता का जीवन जीना भला किस प्रकार की  समझदारी है। सच्चाई से जीने का मजा यह भी है है कि हमें अपने सर को किसी के आगे झुकाना नहीं पड़ता.

सफलता है आपके जीवन का पैमाना 

इस सच्चाई से भला किसको इनकार हो सकता है कि दुनिया सिर्फ उगते हुए सूरज को पूछती है और सफलता हीं वह पैमाना है जिसके परैमिटर पर हम सभी को तौलकर ही आपकी कीमत लगाई जाती है। लेकिन यह भी याद रखें, जीवन मे सफलता के लिए भी कुछ शर्ते हैं और उनकी कीमत पर हीं आप सफल होंगे और ये दुनिए आपको तब तक नहीं पूछेगी जब तक आप सफल नहीं हो जाते।

हर रिश्ता स्वार्थ से भरा नहीं होता 

हाँ, हर रिश्ता स्वार्थ से भरा होता है, लेकिन इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि हर रिश्ते को हम स्वार्थ के तराजू पर तौल कर हीं उसके वास्तविकता को पहचाने। दूध पिलाने वाली एक माँ को भला उसे गोद मे बच्चे से क्या स्वार्थ हो सकता है? अगर हम यह कहें कि वह अपने बुढ़ापे के सहारा के लिए यह कर रही है तो इतना वास्तविकता उस माँ को भी पता है कि यह इनवेस्टमेंट खतरे से भरा  है क्योंकि आज इतने बड़े पैमाने पर खुद रहे वृद्धाश्रम इस बात की गारंटी है कि कम से कम आज के पेरेंट्स को अपने बच्चों से उतना उम्मीद लगाना खतरे से खाली नहीं। 


नजरिया जीने का: अपने विचारों को दीजिए खुला आकाश-बड़ा सोचें और अपने जीवन में बड़ा हासिल करें

 


अगर आप असीमित शब्द के सार्थकता को समझेंगे तो पाएंगे कि यह शब्द बहुत ही उपयोगी है क्योंकि यह आपको  विश्वास दिलाता है कि आप वह सब कुछ कर सकता हूं जो आप चाहते हैं। सच तो यही है कि यह आपकी असीमित सोच है जो आपके अंदर के विचारों को जागृत करता है और  संभावनाओं की याद दिलाता है, तब भी जब सारी परिस्थितियाँ मेरे विरुद्ध हों। असीमित सोच और असीमित विचारों पर विश्वास करके, आप असीमित चीजें हासिल कर सकते हैं हाँ इसके लिए पहल आपको हीं करनी होगी। नजरिया जीने का  एक ऐसा हीं मंच है जो आपके अंदर की आग को जलाने की कोशिश करती है जो क्योंकि आपके अंदर की आग सबसे बड़ी चीज है। 



सोचने की कोई सीमा नहीं है, इसलिए बड़ा सोचें और अपने जीवन में बड़ा हासिल करें क्योंकि हर व्यक्ति के अंदर अपार शक्ति है और हमें बस उसे प्रज्वलित करना है। प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। 
विडम्बना यह हैं कि प्रकृति ने तो हमें कोई भेदभाव नहीं किया हमें शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करने में, लेकिन यह केवल हम ही हैं जो अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं, इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है।

आपके आस-पास होने वाली हर घटना को कुछ न कुछ सीमा प्रदान की गई है। चाहे वह सड़क हो, क्रेडिट/डेबिट कार्ड हो, आपका शरीर हो, आपके शरीर के अंग हों और यहां तक कि सभी अत्यधिक परिष्कृत और नवीनतम उपकरण हों, उनके उपयुक्त और मानक प्रदर्शन की अपनी सीमाएं हैं। 

यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

असीमित सोच:

हमारा दिमाग शारीरिक बाधाओं से बंधा नहीं है और हम चाहें तो हम वर्तमान और सीमाओं से परे कल्पना कर सकते हैं, अन्वेषण कर सकते हैं और सपने देख सकते हैं। यह केवल आपकी सोच है जिसकी कोई सीमा नहीं है और यह बहुत ऊपर तक जा सकती है क्योंकि आपके पास वास्तविक तर्क है और आपके संसाधन और दृष्टिकोण इसकी अनुमति देते हैं।

नजरिया जीने का: आपकी प्रसन्नता में छिपा है आपकी सफलता का रहस्य

यह केवल हम ही हैं जो इस तथ्य के बावजूद कि आपके पास इसे हासिल करने के लिए पर्याप्त शक्ति और ऊर्जा है, अपनी सोच को सीमा प्रदान करते हैं। यह असीमित सोच हमें उन संभावनाओं पर विचार करने की अनुमति देती है जो पहली नज़र में संभव नहीं लगती हैं।

बड़ी सोच का महत्व:

प्रकृति ने हमें अपने जीवन में चमत्कार करने की अपार शक्ति और क्षमता प्रदान की है, लेकिन त्रासदी यह है कि हम दर्शक दीर्घा के बीच में फिट होने का आनंद लेते हैं। महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने से प्रेरणा मिलती है और हमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

बड़ी सोच चुनौतियों का सामना करने में नवीनता, रचनात्मकता और लचीलेपन को बढ़ावा देती है। हमें ऊंचा सोचना चाहिए और अपनी सोच को नई ऊंचाइयां प्रदान करनी चाहिए, आश्चर्यजनक रूप से हम अखबारों और टीवी समाचारों में ऐसे चमत्कार रचने वालों से गुजरते रहते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे लोगों ने अपनी सोच को नई ऊंचाई प्रदान की है और अपने जीवन में बड़ा मुकाम हासिल किया है.


संतुलन महत्वपूर्ण है-

जबकि बड़ा सोचना महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ हीं सुनिश्चित करना भी जरुरी है कि आपके लक्ष्य भी यथार्थवादी हों और आपके मूल्यों और संसाधनों के अनुरूप हों। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, सीखने, बढ़ने और उनके साथ तालमेल बिठाने की प्रक्रिया अत्यधिक मूल्यवान है। 

दुनिया में हर सफल शख्सियत ने तभी बड़ा हासिल किया है, जब उसने बड़ा सोचने का साहस किया। हमें एक मुर्ख और लापरवाह इंसान बनने की मानसिकता को बदलने के लिए तैयार रहना होगा न कि यह सोचना होगा कि प्रकृति ने हमें चमत्कार करने की सारी शक्ति और विचारों से सुसज्जित किया है।



नजरिया जीने का: प्रेम में समर्पण की मौन भाषा को जानना भी जरूरी है


स्पर्श की कोमलता को, हम जानते हैं बाद में,
हृदय के गहरे संबंधों को पहले जानना भी जरूरी है।

हाँ, नि: शब्द तो होता है प्रेम, लेकिन
समर्पण की मौन भाषा को जानना भी जरूरी है।

यह विश्वास हीं तो है, जो लाती है करीब हमें,
फिर भी, सहमति की हद भी जानना जरूरी है।

हाँ, सच्चा प्रेम बिल्कुल निःस्वार्थ हीं होता है।
पर अपेक्षा की सीमा का जानना भी जरूरी है।

भावनाओं की गहराई में उतरना तो प्रेम है, पर,
मौन वार्तालाप की संवेदना को जानना भी जरूरी है।

 


सौंदर्य और कुरुपता के धोखे से निकलना सीखे 







शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: Self Discipline की ज़रूरत क्यों और इसे जीवन में कैसे अपनाएँ


गौतम बुद्ध की उस कोट्स को जरूर पढ़ा होगा  सेल्फ डिसिप्लिन और खुद पर नियंत्रण के लिए सबसे प्रभावी उक्ति है-

" जिसने खुद पर जीत पा ली, उसने दुनिया पर जीत पा ली।” यह एकमात्र सत्य  हम सभी जानबूझकर कर अनजान बने हुए हैं. सेल्फ डिसिप्लिन या आत्म-अनुशासन एक महत्वपूर्ण कौशल है जो आपको अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहार को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करता है ताकि आप अपने जीवन में महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। जीवन में आत्म-अनुशासित होने से, हम अपनी योजनाओं पर टिके रहने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने की अधिक संभावना रखते हैं। इसलिए अपने जीवन में आत्म-अनुशासन के पाँच स्तंभों को हमेशा याद रखें - स्वीकृति, इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत, परिश्रम और दृढ़ता।



आत्म-अनुशासन आपके जीवन के हर प्रयास में अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कारक है और आत्म-अनुशासन के अभ्यास ही आपको अपने सपनों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्य करने की क्षमता प्रदान करते हैं। 

याद रखें, यह सेल्फ डिसिप्लिन या आपके खुद पर नियंत्रण करने की क्षमता हीं है जो जीवन की दिशा तय करता है. हम अज्ञानतावश जीवन में आने वाले परिस्थितियों को दोष देते रहते हैं लेकिन सच यह है कि जो चीज हमारे नियंत्रण में नहीं है, इसे भला दोष क्या देना. उन परिस्थितयों से निबटने के लिए हमारा सेल्फ डिसिप्लिन या स्व अनुशासन हीं वह कदम है जो उन परिस्थितियों से निकलने में मदद करता ही. 

सेल्फ डिसिप्लिन कोई सज़ा नहीं, बल्कि स्वयं से किया गया वादा है — अपने बेहतर रूप को बनाने का। जब हम अपने मन, समय और आदतों पर नियंत्रण पा लेते हैं, तभी असली सफलता हमारे कदम चूमती है।

आत्म-अनुशासन का अभ्यास न केवल आपके जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके जीवन को हमेशा सही रास्ते पर ले जाता है. 

आत्म-अनुशासन हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। जब हम आत्म-अनुशासन रखते हैं, तो हम अपनी योजनाओं पर टिके रहने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने की अधिक संभावना रखते हैं।

यह हमें अच्छी आदतें विकसित करने में मदद करता है। आत्म-अनुशासन हमें अच्छी आदतें विकसित करने में मदद कर सकता है, जैसे स्वस्थ भोजन करना, नियमित व्यायाम करना और पर्याप्त नींद लेना।

यह हमें तनाव प्रबंधन में मदद करता है। जब हम अपने तनाव के स्तर को नियंत्रित कर पाते हैं, तो हम चुनौतियों और असफलताओं का बेहतर ढंग से सामना कर पाते हैं।

यह हमें आत्म-सम्मान बढ़ाने में मदद करता है। जब हम अपने लक्ष्य प्राप्त करते हैं, तो हमें उपलब्धि और गर्व की अनुभूति होती है। इससे हमें अपना आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

जो व्यक्ति अपने जीवन में आत्म-अनुशासित होते हैं, वे अपने नियम बनाते हैं और उन नियमों का दृढ़ता से पालन भी करते हैं... इन व्यक्तियों में अपनी सीमाएँ निर्धारित करने और अपने लक्ष्यों के लिए अपने मन का मार्गदर्शन करने के प्रबल गुण होते हैं... शुरुआत में एक अनुशासित व्यक्ति बनना मुश्किल हो सकता है, लेकिन दिशानिर्देशों का पालन करना और उनका आदी होना मुश्किल नहीं है। अनुशासित व्यक्ति अपने मन को अपने मन पर हावी होने देते हैं और अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते।

टालमटोल करना अगर आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन चूका है तो उसपर तत्काल नियंत्रण पाएं क्योंकि आपके जीवन में सफलता की राह में यह सबसे बड़ा रोड़ा है.  उसके बदले आप अपने जीवन में सेल्फ डिसिप्लिन के नियमों का पालन करें और “अभी नहीं तो कभी नहीं” का सिद्धांत अपनाएँ।स्व अनुशासन को अपने जीवन का हिस्सा बनायें और जीवन का यह मूल मन्त्र बनाएं कि  हर काम के लिए सही समय अभी अर्थात वर्तमान  है।

आत्म-अनुशासन ही एकमात्र और अंतिम कारक है जो आपके विचारों और व्यवहार में बदलाव लाने की क्षमता रखता है. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, अपने विचारों का स्वामी बनना आवश्यक है और आपको आत्म-अनुशासित जीवन जीने का आदी होना होगा...अपनी सभी गलत और बुरी आदतों को समय पर और अपनी क्षमता के अनुसार नियंत्रित करना चाहिए, अन्यथा वे आपके व्यवहार, व्यक्तित्व और आपके समग्र जीवन का हिस्सा बन सकती हैं.

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

नजरिया जीने का: जीवन के मूल्यों के प्रतीक हैं शिव, सीखें जीवन की ये महत्वपूर्ण बातें



देवों के देव अर्थात महादेव का व्यक्तित्व सम्पूर्ण रूप से रहस्यों से भर हुआ है। एक तरफ उन्हे भोलानाथ कहते हैं जिसका मतलब हीं निकलता है सादगी, दया और करुणा से भरपूर हैं जिन्हे प्रसन्न करना भक्तों के लिए काफी आसान है। वहीं दूसरी तरफ भगवान शिव सत्यम, शिवम, सुंदरम, यानी सत्य, अच्छाई और सुंदरता के रूप में महत्वपूर्ण अच्छाई का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। 

भगवान शिव सब पर काफी दया और प्रेम रखने वाले हैं चाहे वह  देवता हों, असुर हों या साधारण मनुष्य। और यही वजह है कि राक्षसों और दानवों ने भी प्रेम पूर्वक उनका पूजन कर उनसे हीं वरदान लेकर उनके हीं अंत का उपाय अर्थात खुद के विनाश की तैयारी कर लेते थे। 

सौंदर्य और कुरुपता के धोखे से निकलना सीखे 

महज एक देवता नहीं,

जीवन के मूल्यों के प्रतीक भी हैं शिव। 

भस्म और बाघंबर मे रमे हुए,

संतोष और सादगी के प्रतीक भी हैं शिव। 

समुद्र मंथन से निकले विष को पी जाने वाले,

धैर्य और सहनशीलता के प्रतीक भी  हैं शिव। 

जिससे सारा जहां है, उसी का नाम है नारी

बाहरी कोलाहल और तांडव से परे,

ध्यान और समाधि के प्रतीक भी हैं शिव। 

देवता, असुर या हों सामान्य भक्त सब पर ,

एक समान दृष्टि के प्रतीक भी हैं शिव। 

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